सूचना क्रांति और आधुनिकता के इस दौर में हम भले ही चांद पर घर बसाने की सोच रहे हैं, हर दिन नए कीर्तिमान रच रहे हैं, लेकिन समाज का बहुत बड़ा हिस्सा आज भी ऐसा है, जो अंधविश्वास और झूठी परंपराओं के जाल में फंसा हुआ है। ताज्जुब की बात यह है कि इन अंध-परंपराओं के भंवर मे बहुत बड़ा शिक्षित समाज भी है। हम बहुत-सी परंपराओं और अंधविश्वासों को बिना कुछ विचार किए ज्यों का त्यों स्वीकार किए जा रहे हैं। हम यह भी नहीं देख रहे हैं कि इन परंपराओं, अंधविश्वासों का कोई आधार, कोई अस्तित्व है भी, या नहीं। हमारी बहुत-सी मान्यताएं ऐसी हैं, जो विज्ञान व आधुनिक ज्ञान की कसौटी पर खरी नहीं उतरती हैं। वैज्ञानिक युग के बढ़ते प्रभाव के बावजूद अंधविश्वास की जड़ें समाज से नहीं उखड़ी हैं। अंधविश्वास, आडंबर और झूठी परंपराओं का ज्यादा असर हमारे ग्रामीण क्षेत्रों मे दिखाई दे रहा है। धर्म का झूठा चोला पहने कई पाखंडियों द्वारा आज भी लोगों को जादू-टोने, भूत-प्रेत, तंत्र विद्या से बीमारियों का उपचार, भभूत से उपचार और न जाने किन-किन झूठी मान्यताओं द्वारा गुमराह किया जा रहा है, जबकि इन चीजों का कुछ औचित्य है ही नहीं।
नैतिकता का नाटक ፨
कुरसी सुख का आधार है, सिर्फ स्वरूप ही बदला है। देश की जनता के सामने आदर्शों की दुहाई देकर, नैतिकता का ढोल पीट-पीटकर अनैतिक कार्यों के आगे सत्ता का प्रभावशाली परदा डाल दिया जाता है। एन-केन-प्रकारेण कुरसी से चिपके रहना आज की राजनीति में नियति बन चुकी है, वह भी तमाम मूल्यों की धज्जियां उड़ाकर। काश! इस द्वंद्व से निकल पाने की कोई राह दिखाई देती।
चीन की हरकत ፨
चीन को लेकर बार-बार यह बात दोहराई जाती है कि चोर चोरी से जाए, मगर हेराफेरी से न जाए। लेकिन लगता है कि हमारा देश चीन को लेकर अब भी खुशफहमी पाले हुए है। हमारे शीर्ष नेता चीन के दौरे पर जाते हैं, तो चीन बड़ी गर्मजोशी से उनका स्वागत करता है। चीनी नेता द्वारा प्रोटोकॉल तोड़कर किए गए स्वागत को हमारे नेता भी बड़ा महत्व देते हैं। लेकिन हकीकत में चीन के वैमनस्य में कोई कमी नहीं आई है। उसके द्वारा की जा रही छोटी-छोटी हरकतों के बड़े अर्थों को समझने में लगता है कि हम कहीं चूक रहे हैं। अपनी नवीनतम ओछी हरकत के रूप में चीन ने अप्रत्याशित रूप से भारत की संयुक्त राष्ट्र में मुंबई हमले के मुख्य कर्ता-धर्ता आतंकी जकी-उर-रहमान लखवी पर कार्रवाई के प्रस्ताव को वीटो कर दिया और कारण यह गिनाया कि इस संदर्भ में भारत के पास कोई ठोस सुबूत नहीं है। अपने इस कदम से चीन ने एक तरह से भारत में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को समर्थन दिया है। चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारत को भी तिब्बत की आजादी की मांग को हवा देनी चाहिए, क्योंकि लगातार दुश्मनी निभाते चीन से व्यापक संबंध बनाए रखने का कोई पुख्ता आधार शेष नहीं रह गया है।
किसिम-किसिम के बाबा ፨
सारथी बाबा, राधे मां, बिल्डर बाबा, इन आधुनिक बाबाओं के कारण ही समाज में संतों की छवि को नुकसान पहुंचा है। कुछ लोग इनके मोह-जाल में फंस जाते हैं, जिसके चलते इन आधुनिक बाबाओं की दुकान चल निकलती है। लोग ऐसे बाबाओं व कथावाचकों के पीछे भागते हैं, जिनके आश्रमों में अच्छी सुविधाएं हों। धनी वर्ग के कई सारे लोग इन बाबाओं को खुलकर दान देते हैं। जब इन बाबाओं को अपनी करनी की सजा मिलती है, तब जाकर इनकी पोल खुलती है। श्रद्धालुओं को ऐसे आधुनिक बाबाओं से बचकर रखना चाहिए, तभी इनका मनोबल टूटेगा और ये धर्म-कर्म में पाखंड-आडंबर को बंद करेंगे।