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गुरुवार, 7 नवंबर 2019

गोंडवाना समय ई पेपर 6 नवंबर 2019

पर शायद मुझे 5 साल के मेहमान जनप्रतिनिधि समझकर मेरी बातों पर नहीं किया गया गौर


पर शायद मुझे 5 साल के मेहमान जनप्रतिनिधि समझकर मेरी बातों पर नहीं किया गया गौर 

मण्डला जिले की स्वास्थ्य सुविधाओं पर छलका विधायक डॉ अशोक मर्सकोले का दर्द निकला शब्द बनकर

मण्डला की जनता राहत 2 के बाद स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए राहत 3 का इंतजार करे

पर इस बहाने मंडला में स्वास्थ्य सविधाओं को बढ़ाना था, यही कहने का मकसद है मेरा

विशेष प्रोजेक्ट की कमी पर विचार नहीं कर पाना ही राहत 2 को जन्म दिया ?

मण्डला की स्वास्थ्य व्यवस्था पर चिंतनकर्ता
डॉ अशोक मर्सकोले विधायक निवास
मण्डला जिले की निवास विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस पार्टी से विधायक डॉ अशोक मर्सकोले ने राहत 2 की तैयारियों का जायजा लिया और यथास्थिति को लेकर सोशल मीडिया के माध्यम से राहत-2 के आयोजक-प्रयोजक-व्यवस्थापकों तक अपनी बात पहुंचाने का प्रयास किया है जिसमें विधायक डॉ अशोक मर्सकोले ने जिला अस्पताल मण्डला, योगीराज हॉस्पिटल, कटरा हॉस्पिटल और स्टेडियम में बनाये ओपीडी और रजिस्ट्रेशन स्थल पर जाकर देखा तो उन्हें तैयारियां बहुत अच्छी लगी। पूरे देश दिल्ली मुम्बई और बड़े शहरों से सिर्फ विशेषज्ञ ही नहीं सुपर विशेषज्ञ चिकित्सकों के साथ उनके सहायकों के साथ में आने की आने की खबर है। वहीं राहत-2 के लिये अब तक 30 हजार से ज्यादा मरीजों का पंजीयन हो चुका है और कैम्प पीरियड में मरीजों की संख्या लगभग 50,000 पार हो जाने की उम्मीद है जो कि वर्ष 2010 की राहत 1 से ज्यादा सफल रहने के साथ साथ आशा है कि ज्यादा मरीजों का आॅपरेशन सफल हो जाये।
इसके लिए राज्यसभा सांसद श्री विवेक तन्खा जी और रोटरी क्लब डॉ राजेश धीरवानी और संजय तिवारी जी, संतोष तिवारी के साथ सभी रोटेरियन साथियो के अलावा, हमारे प्रदेश सरकार और मुखिया कमलनाथ जी, प्रभारी मंत्री तरुण भैया, स्वास्थ्य मंत्री तुलसी भैया का खुला सपोर्ट के साथ पीएस हेल्थ पल्लवी जैन गोविल, कमिश्नर राजेश बहुगुणा जी, कलेक्टर डॉ जगदीश चंद्र जटिया जी और मण्डला जिले के विभिन्न विभागों के अधिकारियों की दिनरात की सराहनीय एक्विटी के साथ जेडी जनपद पंचायत रंजना गुप्ता, ठाकुर सर, एमएचओ डॉ एस एन सिंग सर, सिविल सर्जन डॉ एम तेजा सर,  के साथ जिला चिकित्सालय और जिले के सभी डॉ साथियों के साथ पैरामेडिकल व अन्य सहायक स्टाफ और मण्डला के समाजसेवी संगठन और नागरिकों की अहम भूमिका है जो कि पूरी तन्मयता से दिन रात काम में लगे हैं, सभी का सहयोग स्वागत के योग्य है, सभी को स्वागत बधाइयां इस शानदार सहयोग तैयारियों के लिए और पूरी उम्मीद और विश्वास करते हैं कि असाध्य रोगों से गरीब वंचित जनता को इलाज का फायदा होगा।

जो शायद पिछले राहत 1 के सारे रिकॉर्ड तोड़ दे

राहत-2 को लेकर निवास विधायक डॉ अशोक मर्सकोले ने लिखा है कि चूँकि प्रदेश और देश के शासन-प्रशासन के जिम्मेदार आप सभी इस ग्रुप में है, इसलिए शानदार आयोजन के बीच एक विषय चिंतन के लिए रखना चाहता हूँ ताकि भविष्य में राहत 3 की शायद जरूरत न पड़े। जब 2010 में राहत स्वास्थ्य शिविर लगा हजारों लोगों ने उपचार इलाज लिया, इसके बाद रोटरी और श्री विवेक तन्खा जी के सहयोग से अलग अलग जगह पर मेगा कैम्प हुए, पर जैसी सफलता मण्डला राहत में मिली उतनी कहीं भी नहीं मिली और अब मण्डला में ही राहत 2 का आयोजन जो शायद पिछले राहत 1 के सारे रिकॉर्ड तोड़ दे।

आखिर यहाँ इतने मरीज क्यों और कैसे?

पर मेरा चिंतन इस बात पर है कि आखिर यहाँ इतने मरीज क्यों और कैसे? पिछले राहत के बाद इस विषय पर शासन प्रशासन का ध्यान क्यों नही गया, कैम्प के बाद उस कमी की भरपाई चाहे, हॉस्पिटल की संख्या, विशेषज्ञ और डॉक्टर्स के साथ पैरामेडिकल स्टाफ की कमी, जांच के लिये सामग्री इक्यूमेंट प्राथमिकता के तौर पर उपलब्ध क्यों नहीं किये गये। सीटी, एमआरआई, आईसीयू वेंटिलेटर, रेगुलर डायलीसिस की सुविधा, सेंट्रल लाइन सप्लाई की सुविधा, ब्लड बैंक में कॉम्पोनेन्ट स्प्रेक्शन की सुविधा फ्लोरोसिस, सिकलिंग, कुपोषण जैसी महामारी का विशेष निदान हेतु विशेष प्रोजेक्ट की कमी पर विचार नहीं कर पाना ही राहत 2 को जन्म दिया ?

राहत 3 का यहां के लोगों को इंतजार करना होगा

राहत 2 जिसके निरीक्षण में जो स्ट्रूमेंट इक्यूमेंट पाया जो आसपास के जिलों से या जिले के ही सीएससी से अरेंज किये किया या जिनकों मेंटेन कर या जुगाड़ कर कैम्प की व्यवस्था बनाई गई है, जो कैंप खत्म होने पर फिर वापस करना होगा। स्वास्थ्य सुविधाएं वापस उसी स्थिति पर आ जायेगी। उसके बाद फिर नए तरीके से राहत 3 का यहाँ के लोगो को इंतजार करना होगा।

जो आगे सोच की कमी राहत 3 को जन्म देगी

जबकि पूर्व अनुभवों को देखकर समझकर कैम्प के बहाने नए स्ट्रूमेंट इक्विपमेंट्स और एचआर अरेंज होना ही चाहिए था। जिस पर ध्यान नहीं दिया गया, मैंने 25 डॉक्टर की जिसमें विभिन्न स्पेशलिटी के 10 डॉक्टर्स की स्पेशल आपाईमेंट कराने की बात के साथ इसी तर्ज पर पैरामेडिकल स्टाफ की बात कहा था इस कैम्प के सहारे या बहाने यहाँ की लचर स्वास्थ्य व्यवस्था सविधाओं को इंप्रुव या सुधार किया जा सके, पर उस बात की समझ की कमी स्पस्ट दिखी जो आगे सोच की कमी राहत 3 को जन्म देगी।

अगर स्वास्थ्य के अधिकार को साकार करना है तो..

आगे विधायक डॉ अशोक मर्सकोले ने राहत-2 को लेकर लिखा है कि आदरणीय विवेक तन्खा जी, एचएम सर, प्रभारी मंत्री जी, पीएस हेल्थ मैडम आप सबसे निवेदन है कि प्रदेश के मुखिया कमलनाथ जी आ रहे हैं अगर स्वास्थ्य के अधिकार को साकार करना है तो इस कमी को देखकर समझकर सुविधाओं की स्पष्ट माँग की जाय जो कमी रह गई है।

न ही मीटिंग की जानकारी समय पर दी जाती रही

मैं खुद चिकित्सक हूँ, एक दो मीटिंग में मुझे बुलाया था, तो इन्ही विषयों पर मैंने अपनी बात रखा था पर शायद मुझे 5 साल के मेहमान जनप्रतिनिधि समझकर मेरी बातों पर गौर नहीं किया गया न ही मीटिंग की जानकारी समय पर दी जाती रही, जबकि लोकल प्रतिनिधि वो भी मेडिकल फील्ड से होने से ज्यादा अच्छा व्यवस्था में मदद कर सकता था हर तरीके से पर मैं कभी नहीं चाहूंगा कि मण्डला की जनता राहत 2 के बाद स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए राहत 3 का इंतजार करे।

जोधइया के टीचर अश्विन स्वामी ने कहा, 'अपने दुख और दर्द को पीछे छोड़ जधोइया ने हमेशा पेंटिंग में ध्यान लगाया है. मैं बहुत खुश हूं कि जधोइया की पेंटिंग इटली में दिखाई जा रही है. लेकिन मुझे लगता है उसे बहुत कुछ अचीव करना बाकी है.'

मध्य प्रदेश की वो आदिवासी महिला, जिनकी पेंटिंग इटली में होगी शोकेस
मध्य प्रदेश: 
मध्य प्रदेश की 80 साल की आदिवासी महिला की पेंटिंग इटली में शोकेस होगी. इटली के मिलान में होने वाली प्रदर्शनी में इनकी पेंटिंग दिखाई जाएगी. इस महिला का नाम है जोधइया बाई बैगा (Jodhaiya Bai Baiga), जो कि मध्य प्रदेश के लोहरा गांव के उमरिया जिले की रहने वाली हैं.  
जोधइया ने अपने पति की मृत्यु के बाद पेंटिंग करना शुरू किया. एएनआई से बात करते हुए जोधइया ने बताया, 'मैं सभी तरह के जानवरों की पेंटिंग करती हूं, जो भी मेरे आस-पास दिखता है. मैं भारत के कई जगहों पर गई हूं. आजकल मैं पेंटिंग के अलावा और कुछ नहीं करती. मैंने 40 साल पहले अपने पति को खोने के बाद पेंटिंग शुरू की. क्योंकि मुझे मेरे परिवार को चलाने के लिए कुछ तो काम करना था.'

सोमवार, 4 नवंबर 2019

गाँव और शहर में अंतर क्या है?

गाँव का जीवन (village life in hindi)

गाँव का जीवन बिलकुल साधारण और सीधा होता है। गाँव में किसी प्रकार की भीड़ या जल्दबाजी नहीं होती है। चारों और शान्ति रहती है।
गाँव में लोग सीधे तौर पर प्रकृति से जुड़े होते हैं। यहाँ लोगों का ज्यादातर समय अपने खेतों और घरवालों के साथ बीतता है।
गाँव में लोग बड़ी मात्रा में भक्ति आदि से जुड़े होते हैं। यहाँ के लोग हर त्यौहार आदि को पुरे हर्ष-उल्लास के साथ मनाते हैं।
यदि साधारण जरूरतों की बात करें, तो गाँव के लोगों को शुद्ध वायु मिलती है। इसके अलावा यहाँ के लोगों को साफ़ पानी और शुद्ध भोजन और सब्जियां मिलती हैं।
गाँव के लोग अपने हाथ से खेतों में सब्जियां और फल उगाकर खाते हैं।
गाँव में रहने के कई नुकसान भी हैं। गाँव में लोगों को कई सेवाएं आसानी से नहीं मिल पाती है। जैसे कि, गाँव में डॉक्टर आसानी से उपलब्ध नहीं होता है।
डॉक्टर और अच्छी मेडिकल सेवाओं के ना होने की वजह से यहाँ के लोग बिमारी की वजह से जल्दी मर जाते हैं।
इसके अलावा गाँवों में पढ़ाई को लेकर भी समस्या है। गाँव में बहुत कम लोग स्कूल की पढ़ाई को पूरा करते हैं। इन्हीं कारणों से गाँव में पढ़े लिखे लोग बहुत कम होते हैं। जो कुछ पढ़े लिखे होते हैं, वे शहर में पलायन कर जाते हैं।
गाँव के लोग अन्धविश्वास में भी बहुत विश्वास रखते हैं।

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शहर का जीवन (city life in hindi)

शहर एक प्रकार से विकसित और जगमगाता प्रतीत होता है। शहर में ऊँची-ऊँची इमारतें, लम्बी-चौड़ी सड़कें, शौपिंग मॉल, लाइट आदि होती हैं।
इसके अलावा सड़कों के दोनों और अच्छी अच्छी दुकानें और अन्य प्रकार की कई सेवाएं उपलब्ध रहती हैं।
शहरों में ऐसा लगता है कि लोग हर समय जागते रहते हैं। रात में भी सड़कों पर चहल पहल रहती है, जो गाँवों में नहीं होती है।
शहर के लोग पढ़े लिखे होते हैं और बच्चों के पढने के लिए अच्छी अच्छी स्कूल और कॉलेज होते हैं।
शहरों में बड़े बड़े अस्पताल और अन्य सेवाएं आसानी से उपलब्ध रहती हैं। यहाँ लोग ज्यादा मेहनत करते हैं और ज्यादा ही खर्च करते हैं।
इन सबके अलावा भी शहरों में रहने के कुछ नुकसान भी हैं।
मुख्य तौर पर शहर में प्रदुषण बहुत होता है। इस कारण से यहाँ की वायु और पानी दूषित हो जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होता है।
शहर में गरीब व्यक्ति नहीं रह पाता है, क्योंकि यहाँ बहुत महंगाई रहती है।

गाँव और शहर में अंतर (difference between village and city in hindi)

गाँव और शहर के जीवन में मुख्य अंतर निम्न हैं:
  • गाँवों में गलियां और सड़कें कम होती हैं। गाँवों में कच्ची सड़क होती हैं। वहीँ शहरों में सैकड़ों सड़कें होती हैं, जो पक्की होती हैं और वे लम्बी चौड़ी होती है।
  • गाँवों में बहुत कम दुकानें होती हैं, जबकि शहर में बड़ी मात्रा में दुकानें और मॉल होते हैं।
  • गाँव में गाड़ियाँ बहुत कम होती हैं, वहीँ शहरों में सड़कें गाड़ियों से भरी रहती है। शहर में लगभग हर घर में एक गाड़ी होती है।
  • गाँव में मुश्किल से एक सिनेमाघर होता है, या वो भी नहीं होता है। जबकि शहरों में ढेरों सिनेमा होते हैं।
  • गाँव में एक या दो स्कूल होती है और वे भी सरकारी होती हैं, जबकि शहर में बहुत सी प्राइवेट स्कूल होती हैं।
  • गाँव में शुद्ध वायु होती है लेकिन शहर में वायु प्रदूषित होती है।