प्रश्न से ज्यादा इस प्रश्न की गहराई है और प्रश्न बहुत ही सुंदर है।
जिस बच्चे की ज्यादा देखभाल होती है वो २४ महीनों तक भी चलना नहीं सीख पाता है,
लेकिन जो गरीब का बच्चा होता है।वो १० महीने का होते ही पैरों पर खड़ा होकर दौड़ने लग जाता है।कहने का सीधा सा मतलब है कि जीस चीज़ की ज्यादा देखभाल कराई जाती है उस चीज़ का ही ज्यादा नुकसान देखने को मिलता है।
सीधा सा अर्थ है मित्रों, बाल को संभालने के लिए ज्यादा केमिकल, विशेष तरह के साबुन, कई तरह के सेम्पू , स्प्रे और लोग तो कई प्रकार के जेल और।मैं नाम भी याद नहीं आ रहा है।सीरम लगाते हैं।
और वो अपने बालों को बचाने के लिए।हर तरह के वो उपाय करते हैं जहाँ तक वो पहुँच सकते हैं।और बालों में इतना ज्यादा एक्सपेरिमेंट हो जाता है कि बाल भी सोचते हैं कि बस अब तो ना रहे तो ही अच्छा है।
आप अपने गमले में खड़े हुए फूल के पेड़ पर 1000 एक्सपेरिमेंट करो, 10 तरह की खाद डाल और 10 तरह के केमिकल डालो, 50 तरह की दवाइयां डालो।एक महीने के अंदर ही।पौधे का नाम निसान खत्म हो जाएगा।
विदेशी कंपनियों को तो प्रॉडक्ट बेचने का पैसा मिलता है।आपको क्या मिला?गंजापन।मैं सही बताऊँ तो मेरी उम्र 40 के उपर है और मैंने अपनी उम्र में एक या दो बार ही शैम्पू का उपयोग किया है और नहाने के लिए भी मैं सामान्य आयुर्वेदिक साबुन का उपयोग करता हूँ।मै पतंजलि के साबुन का उपयोग करता हूँ और आज तक मेरे शरीर पे एक भी बाल सफेद नहीं है और ना बालों से संबंधित कोई समस्या है।
बालों में सिर्फ सरसों या नारियल का तेल लगातार हूँ ।किसी भी प्रकार का।कोई भी विदेशी रसायन मुझे पसंद नहीं है।
हाँ, बड़ा अजीब लगेगा आपको यह सुनकर की मैं हफ्ते में एक बार पतंजलि के कपड़े धोने के साबुन से अपने सिर को धूल देता हूँ।
ऐसा करने से जो मुझे फायदा मिलता है।वह आप समझ सकते हो।मुझे बताने की जरूरत नहीं है।लेकिन हाँ, लोग ये जरूर बोलते हैं।कपड़े धोने के साबुन में कास्टिक होता है, एक केमिकल होता है, ज्यादा अधिक केमिकल होता है।अरे?आप क्या क्या खा लेते हो, क्या क्या नहीं खाते हो, कितने केमिकल खा लेते हो?सिर्फ एक कोल्ड ड्रिंक्स से ही कितने केमिकल आप यूज़ कर लेते हो वहाँ? ये सब नहीं चलता है।लेकिन जो मैं बोला सत्य बोला।और मैं किसी विशेष कंपनी का प्रचार भी नहीं करना चाहता हूँ, लेकिन मेरे पास कोई ऑप्शन नहीं था इसलिए मैंने पतंजलि का नाम लिया है।
इस लाइन से भले ही आप थोड़ा सा ज्ञान इधर उधर का फेंक सकते हो, लेकिन मैं क्षमा चाहूंगा, आप दोस्तों को मैं अपना क्लियर।अनुभव बता रहा हूँ।
अब जो बेचारा घर से लाचार हैं, बेप्रवाह है, परेशान है।सड़कों पर भीख मांग रहा है।उसे कहाँ से शैंपू और साबुन मिलेगा?वो तो जितना कोशिश करता है, सिर्फ अपना पेट भरने की कोशिश करता है, वो अपना बिलकुल भी ध्यान फालतू के विषयों मे नहीं लगाता है, सिर्फ अपने पेट की तरफ लगाता है।….
लेकिन प्लीज़।किसी गरीब की गरीबी और अमीरों के स्टेटस से।अपने विचारों को।परेशान न करे, जैसे जीवन चल रहा है, चलाते रहिये, मस्त रहिये, खाते रहिये।और फालतू के बाहर के केमिकलों से अपने आपको बचाते रहीए ।