Powered By Blogger

शनिवार, 22 फ़रवरी 2020

भारत में सिक्का ना लेने पर क्या सजा हो सकती है?

वर्तमान में भारत में सिक्का बनाने का काम सिक्का अधिनियम, 2011 के अनुसार किया जाता है. ध्यान रहे कि भारत में नोटों को प्रिंट करने का काम भारतीय रिज़र्व बैंक; भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के प्रावधानों के अनुसार करता है जबकि सिक्के वित्त मंत्रालय के द्वारा बनवाए जाते हैं. सिक्का अधिनियम, 2011 जम्मू-कश्मीर सहित पूरे भारत में लागू है. भारत में कुछ राज्यों में दुकानदार और लोग सिक्के लेने से मना कर रहे हैं. आइये जानते हैं कि क्या ऐसा करना अपराध की श्रेणी में आता है?
JUL 19, 2019 15:56 IST
facebook Iconfacebook Iconfacebook Icon
Indian coins
Indian coins
दरअसल रिज़र्व बैंक और वित्त मंत्रलाय के पास पूरे देश से ख़बरें आ रहीं हैं कि दुकानदार और ग्रहकों के साथ बैंक भी सिक्के लेने से मना कर रहे हैं. इस तरह लोग जाने अनजाने एक जुर्म कर रहे हैं जो कि अपराध की श्रेणी में आता है.
भारतीय रिजर्व बैंक भारत का सर्वोच्च मौद्रिक प्राधिकरण है. यह 2 रुपये से लेकर 10,000 रुपये तक के नोटों को प्रिंट करने के लिए अधिकृत है. एक रुपये का नोट आरबीआई के बजाय वित्त मंत्रालय द्वारा मुद्रित किया जाता है और उस पर वित्त सचिव के हस्ताक्षर होते हैं.
यदि कोई व्यक्ति किसी भी सिक्के (यदि सिक्का चलन में है) को लेने से मना करता है तो उसके खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई जा सकती है. उसके खिलाफ भारतीय मुद्रा अधिनियम व आइपीसी की धाराओं के तहत कार्रवाई होगी. मामले की शिकायत रिजर्व बैंक में भी की जा सकती है.
सिक्का ना लेने पर सजा और जुर्माना
सिक्का अधिनियम, 2011 की धारा 6 के तहत रिजर्व बैंक द्वारा जारी सिक्के भुगतान के लिए वैध मुद्रा हैं बशर्ते कि सिक्के को जाली नहीं बनाया गया हो.
भारतीय दण्ड संहिता की धारा 489ए से 489इ के तहत नोट या सिक्के का जाली मुद्रण, जाली नोट या सिक्के चलाना और सही सिक्कों को लेने से मना करना अपराध है. इन धाराओं के तहत किसी विधिक न्यायालय द्वारा आर्थिक जुर्माना, कारावास या दोनों का प्रावधान है.
अगर कोई व्यक्ति वैध सिक्के को लेने से मना करता है तो आप तुरंत उसका वीडियो बनायें और पास के थाने में शिकायत दर्ज कराएँ. पुलिस को उस व्यक्ति के खिलाफ कार्यवाही करनी ही पड़ेगी.
अफवाह फ़ैलाने की सजा;
जो लोग सही सिक्के को भी नकली बताकर अफवाह फैलाते हैं उनके लिए भी सजा का प्रावधान है. अफवाह फैलाने वालों पर आरबीआई के नियम के अलावा आईपीसी की धारा 505 के तहत भी मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जा सकती है. इसमें अधिकतम 3 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है जबकि सिक्के को गलाना एक अपराध है जिसमें 7 साल की सजा हो सकती है.
कौन से सिक्के बंद हो गये हैं;
भारत सरकार के वित्त मंत्रालय ने 30 जून 2011 से बहुत ही कम वैल्यू के सिक्के जैसे 1 पैसे, 2 पैसे, 3 पैसे, 5 पैसे, 10 पैसे, 20 पैसे और 25 पैसे मूल्यवर्ग के सिक्के संचलन से वापस लिए गए हैं. इसलिए ये वैध मुद्रा नहीं हैं और कोई भी दुकानदार और बैंक वाला इन्हें लेने से मना कर सकता है.
नोट: ध्यान रहे कि 50 पैसा अभी भारत में वैध सिक्का है और दुकानदार और पब्लिक उसको लेने से मना नहीं कर सकते हैं.
तो आप समझ गये होंगे कि वैध सिक्कों को ना लेना एक अपराध है क्योंकि सिक्का भारत सरकार के द्वारा जारी किया गया आदेश होता है. यदि कोई व्यक्ति या संस्था सिक्कों को लेने से मना करती है तो इसका सीधा मतलब है कि वह सरकार के आदेश को मानने से इंकार कर रहा है. इसलिए उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाएगी.
NEXT STORY

प्राचीन भारतीय मुद्राओं का क्या इतिहास है और इनकी वैल्यू कितनी होती थी?

FEB 22, 2020 12:58 IST
Indian Currency History
Indian Currency History
मनुष्य के बहुत से अविष्कारों में से एक है, रुपये या मुद्रा का अविष्कार. इस अकेले अविष्कार ने पूरी दुनिया का नक्सा ही बदल दिया है. रुपये के विकास ने ना केवल पूरी दुनिया में आर्थिक और सामाजिक तत्रों का विकास किया है बल्कि लोगों के जीने के तरीकों को ही बदल दिया है.
इसी मुद्रा को लेकर समाज में कई तरह की कहावतें भी प्रचलित हुईं हैं जैसे, सोलह आने सच, मेरे पास फूटी कौड़ी भी नहीं है, मेरा नौकर एक धेले का भी काम नहीं करता है और चमड़ी जाए पर दमड़ी ना जाये.
लेकिन क्या आजकल की पीढ़ी यह जानती है कि कौड़ी, दमड़ी, धेला, पाई और सोलह आने की वैल्यू कितनी होती थी? यदि नहीं तो आइये इस लेख में इसके बारे में पूरी जानकारी लेते हैं.
आइये जानते हैं कि रुपये का अविष्कार कैसे हुआ? (History of Indian Currency)
मानव सभ्यता के विकास के प्रारंभिक चरण में वस्तु विनिमय चलता था लेकिन बाद में लोगों की जरूरतें बढ़ी और वस्तु विनिमय से कठिनाइयाँ पैदा होने लगीं जिसके कारण कौड़ियों से व्यापार आरम्भ हुआ जो कि बाद में सिक्कों में बदल गया.
वर्तमान में जो रुपया चलता है दरअसल यह कई सालों के बाद रुपया बना है. सबसे पहले चलन में फूटी कौड़ी थी जो बाद में कौड़ी बनी. इसके बाद;
A. कौड़ी से दमड़ी बनी   
B. दमड़ी से धेला बना 
C. धेला से पाई बनी  
D. पाई से पैसा बना 
E. पैसे से आना बना 
F. आना से रुपया बना और अब क्रेडिट कार्ड और बिटकॉइन का जमाना आ गया है.
प्राचीन मुद्रा की एक्सचेंज वैल्यू इस प्रकार थी;
256 दमड़ी =192 पाई=128 धेला =64 पैसा =16 आना =1 रुपया 
अर्थात 256 दमड़ी की वैल्यू आज के एक रुपये के बराबर थी.
History-indian-coins
अन्य मुद्राओं की वैल्यू इस प्रकार है; (Exchange Value of Old Indian Currency)
I. 3 फूटी कौड़ी (Footie Cowrie) =1 कौड़ी 
II.10 कौड़ी (Cowrie) =1 दमड़ी 
III. 2 दमड़ी (Damri) =1 धेला 
IV. 1.5 पाई (Pai) =1 धेला 
V. 3 पाई =1 पैसा (पुराना)
VI. 4 पैसा =1 आना 
ek-anna
VII.16 आना (Anna)=1 रुपया 
VIII.1 रुपया =100 पैसा 
इस प्रकार ऊपर दिए गये पुराने समय की मुद्राओं की वैल्यू से स्पष्ट है कि प्राचीन समय में मुद्रा की सबसे छोटी इकाई फूटी कौड़ी थी जबकि आज के समय में यह इकाई पैसा है. 
भारत में कौन से सिक्के चलन से बाहर हो गये हैं?
भारतीय वित्त मंत्रालय ने 30 जून 2011 से बहुत ही कम वैल्यू के सिक्के जैसे 1 पैसे, 2 पैसे, 3 पैसे, 5 पैसे, 10 पैसे, 20 पैसे और 25 पैसे मूल्यवर्ग के सिक्के संचलन से वापस लिए गए हैं अर्थात अब ये सिक्के भारत में वैध मुद्रा नहीं हैं. इसलिए कोई भी दुकानदार और बैंक वाला इन्हें लेने से मना कर सकता है और उसको सजा भी नहीं होगी.
नोट: ध्यान रहे कि भारत में 50 पैसे का सिक्का अभी वैध सिक्का है इस कारण बैंक, दुकानदार और पब्लिक उसको लेने से मना नहीं कर सकते हैं. यदि कोई 50 पैसे का सिक्का लेने से मना करता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है.
उम्मीद है कि इस लेख में पढ़ने के बाद वर्तमान पीढ़ी के बहुत से बच्चे अब प्राचीन मुद्राओं को मुहावरों से हटकर भी पहचान सकेंगे.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें