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शनिवार, 14 मार्च 2020

विश्व का सबसे पहला धर्म कौन सा था?

तब ना वेद थे, ना उपनिषद, ना मिस्र के देवता थे, ना पारसियों या मोहनजोदड़ो के, तब न संस्कृत थी न हिब्रू, दरअसल तब कोई मानवीय भाषा ही नहीं थी। अजी भाषा तो छोड़िये तब मानव ही नहीं था, और मानव के पूर्वज वनमानुष भी नहीं थे, यहाँ तक की वानर भी नहीं…
वे धर्म तब से हैं, आज भी है, और मानव रहे ना रहे वे ही धर्म है जो सनातन है — जिन्हें ना किसी वेद, पुराण, कुरान, बाईबल की जरुरत है, ना किसी ख़ुदा-भगवान की।

मातृधर्म
पितृधर्म
भ्रातृधर्म
प्रेमधर्म
राजधर्म
मित्रधर्म
धर्म ये ही काम के हैं
(अगर आप भी बहुतों की तरह अपने सम्प्रदाय को दूध का धुला और बाकी सब को आततायी समझने की बीमारी से ग्रसित हैं तो अन्यों के बारे में सोचकर ही निष्कर्ष निकालिये फिर ईमानदारी से उसे अपने वाले पर फिट कीजिये )
तो हवा-हवाई अप्रमाणिक बातों पर आधारित अंधविश्वासों की पोथियाँ दुनिया का क्या करवा रहीं हैं सो हम सभी जानते हैं।

शुक्रवार, 13 मार्च 2020

क्या ऐसी तस्वीरें मिल सकती हैं जो बेहतरीन कारीगरी का नमूना पेश करें?

ये सारी तस्वीरें एक ऐसी बेजोड़ कारीगरी का उदाहरण है जो बहुत कम देखने को मिलती है
1.हेलिकॉप्टर जो इस कारीगर के सपनो को साकार करता नजर आ रहा है
2.भाईसाहब बुलेट गाड़ी के बहुत ही ज्यादा सौकीन लगते हैं
3.भाईसाहब को तो बड़ी बड़ी हवेलियों में रहना बहुत पसंद है
4.भारत के इस गौरव का तो क्या कहना
5.तारीफ के लिए शब्द ही नहीं है भाई इस कारीगरी के लिए तो.......कमाल का है
6.अद्भुत कला है यार आपकी जिसने भी ये बनाया है

गुरुवार, 12 मार्च 2020

AK47 राइफल की क्या खासियत है?


AK-47 राइफल से तो आप ठीक से परिचित होंगे, लेकिन आप शायद ही जानते होंगे कि आखिर इसके पीछे की कहानी क्या है? इसे किसने बनाया होगा और क्यों बनाया? दरअसल जितनी शानदार AK-47 राइफल है उतनी ही रोचक उसके इजात होने की कहानी है। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि 106 देशों की सेना की ओर से इस्तेमाल की जाने वाली AK-47 का ब्लू प्रिंट किसी प्रयोगशाला और कई वैज्ञानिकों के बीच तैयार नहीं हुआ था, जबकि अस्पताल के बैड पर पड़े बीमार व्यक्ति के दिमाग में तैयार हुआ था। कई सेनाओं के लिए एक स्तंभ का काम करने वाली AK-47 का आविष्कार मिखाइल कलाश्निकोव ने किया था, जिनके देहांत को हाल ही में दो साल हो गए हैं।
मिखाइल कलाश्निकोव के नाम से ही इस स्वचालित रायफल का नाम रखा गया है, और यह दुनिया का सबसे ज्यादा प्रचलित और व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला हथियार है। तुलनात्मक रूप से इसका निर्माण भी अन्य बंदूकों के मुकाबले सस्ता है, इसके साथ ही यह विश्‍वसनीय है और इसकी मरम्मत भी आसान है। बताया जाता है कि मिखाइल ने कई सालों तक इसका पेटेंट भी नहीं करवाया था और ना ही इससे ज्यादा पैसे कमाए थे।
मिखाइल कलाश्निकोव का जन्म 10 नवम्बर 1919 को रूस (USSR) में अटलाई प्रांत के कुर्या गांव में एक बड़े परिवार में हुआ था। 1938 में विश्व युद्ध की आशंका के चलते उन्हें “लाल-सेना” से बुलावा आ गया, और कीयेव के टैंक मेकेनिकल स्कूल में, उन्होंने काम किया और इसी दौरान उनका तकनीकी कौशल उभरने लगा था। साल 1941 में एक भीषण युद्ध के दौरान कलाश्निकोव बुरी तरह घायल हुए और उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। अस्पताल के बिस्तर पर बिताए 6 महीनों में कलाश्निकोव ने अपने दिमाग में एक सब-मशीनगन का रफ डिजाइन तैयार कर लिया था। वह वापस अपने डिपो में लौटे और उन्होंने उसे अपने नेताओं और कामरेडों की मदद से मूर्तरूप दिया।
जून 1942 में कलाश्निकोव की सब-मशीनगन वर्कशॉप में तैयार हो चुकी थी, इस डिजाइन को रक्षा अकादमी में भेजा गया। हालांकि इतनी आसानी से तकनीकी लोगों और वैज्ञानिकों ने कलाश्निकोव पर भरोसा नहीं किया और सन 1942 के अंत तक वे सेंट्रल रिसर्च ऑर्डिनेंस डिरेक्टोरेट में ही काम पर लगे रहे। 1944 में कलाश्निकोव ने एक “सेल्फ़ लोडिंग कार्बाइन” का डिजाइन तैयार किया, 1946 में इसके विभिन्न टेस्ट किए गए और अन्ततः 1949 में इसे सेना में शामिल कर लिया गया। इसके लिए उन्हें कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया।
AK-47 नाम के पीछे का रहस्य- ये मिखाइल का ऑटोमैटिक हथियार है, इसलिए इसका नाम दिया गया आवटोमैट कलाशनिकोवा, जिसे बाद में ऑटोमैटिक कलाश्निकोव कहा जाने लगा। शुरुआती मॉडल में कई दिक्कतें थीं, लेकिन साल 1947 में मिखाइल ने आवटोमैट कलाशनिकोवा मॉडल को पूरा कर लिया। बोलने में मुश्किल होने की वजह से इसे संक्षिप्त कर AK-47 कहा जाने लगा। AK के सिर्फ AK-47 मॉडल ही नहीं है अब तो इसके कई मॉडल बाजार में उपलब्ध है, जिसमें AK-74, AK-103 आदि शामिल हैं।
क्यों खास है एके-47: AK-47 वह हथियार है, जिससे पानी के अंदर से हमला करने पर भी गोली सीधे जाती है। गोलियों की गति इतनी तेज होती है, कि पानी का घर्षण भी उसे कम नहीं कर पाता है। यह बेहद सिम्पल राइफल है और बहुत आसानी से इसका निर्माण किया जा सकता है, इसलिए दुनिया में यह एक मात्र ऐसी राइफल है, जिसकी सबसे ज्यादा कॉपी की गई है। यह एक मात्र ऐसा हथियार है, जो हर प्रकार के पर्यावरण में चलाया जा सकता है और एक मिनट के अंदर इसे साफ किया जा सकता है। इस राइफल में पहले की सभी राइफल तकनीकों का मिश्रण है। अगर विस्तार से देखें तो इसके लोकिंग डिजाइन को एम1 ग्रांड राइफल से लिया गया है। इसका ट्रिगर और सेफ्टी लोक रेमिंगटन राइफल मॉडल8 से लिया गया है, जबकि गैस सिस्टम और बाहरी डिजाइन एस.टी.जी.44 से लिया गया है।

गुरुवार, 5 मार्च 2020

डॉ. आंबेडकर के राजनीतिक विचार


साथियो! जैसा कि आप अवगत हैं कि वर्तमान दलित राजनीति एक बहुत बड़े संकट में से गुज़र रही है. हम लोगों ने देखा है कि पहले बाबासाहेब द्वारा स्थापित रेडिकल रिपब्लिकन पार्टी कैसे व्यक्तिवाद, सिद्धांतहीनता और अवसरवाद का शिकार हो कर बिखर चुकी है. इसके बाद बहुजन के नाम पर शुरू हुयी दलित राजनीति कैसे सर्वजन के गर्त में समा गयी है. इस समय दलितों के सामने एक राजनीतिक शून्यता की स्थिति पैदा हो गयी है. मेरे विचार में इस संकट के समय में सबसे पहले हमें डॉ. आंबेडकर के राजनीति, राजनेता, राजनैतिक सत्ता और राजनीतिक पार्टी के सम्बन्ध में विचारों का पुनर अध्ययन करना चाहिए और उसे वर्तमान परिपेक्ष्य में समझ कर एक नए रेडिकल विकल्प का निर्माण करना चाहिए. इसी ध्येय से इस लेख में डॉ. आंबेडकर के राजनैतिक पार्टी, राजनेता और सत्ता की अवधारणा के बारे में विचारों को संकलित कर प्रस्तुत किया जा रहा है ताकि इन माप-दंडों पर वर्तमान दलित राजनीति और राजनेताओं का आंकलन करके एक नया विकल्प खड़ा किया जा सके.
1. “राजनीति वर्ग चेतना पर आधारित होनी चाहिए. जो राजनीति वर्ग चेतना के प्रति सचेत नहीं है वह ढोंग है.”
2. “केवल राजनीतिक आदर्श रखना ही काफी नहीं है. इन आदर्शों को विजयी बनाना भी ज़रूरी है. परन्तु आदर्शों की विजय एक संगठित पार्टी द्वारा ही संभव है न कि व्यक्तियों द्वारा.”
3. एक राजनैतिक पार्टी एक सेना की तरह होती है. इसके ज़रूरी अंग हैं:-
एक नेता जो एक सेनापति जैसा हो.
एक संगठन जिस में (1) सदस्यता, (2) एक ज़मीनी योजना (3) अनुशासन हो.
इसके सिद्धांत और नीति ज़रूर होनी चाहिए.
इसका प्रोग्राम या कार्य योजना होनी चाहिए.
इस की रणनीति और कौशल होना चाहिए यानि कि कब क्या करना है तथा लक्ष्य तक कैसे पहुंचना है, की योजना होनी चाहिए.”
3. “किसी भी पार्टी में कभी भी न बिकने वाला इमानदार नेतृत्व का बहुत महत्त्व है. उसी प्रकार पार्टी के विकास के लिए समर्पित कार्यकर्ताओं का होना भी बहुत ज़रूरी है.”
4. “एक राजनैतिक पार्टी का काम केवल चुनाव जीतना ही नहीं होता है. एक राजनैतिक पार्टी का काम लोगों को राजनीतिक तौर से शिक्षित करने, उद्देलित करने और संगठित करने का होता है.”
5. “आप के नेता बहुत योग्य होने चाहिए. आप के नेताओं का साहस और बौद्धिकता किसी भी पार्टी के सर्वोच्च नेता की टक्कर की होनी चाहिए.”
6. शैड्युल्ड कास्ट्स फेडरशन के एजंडा के बारे में बोलते हुए डॉ. आंबेडकर ने कहा था:-
7. “आज हमारा मुख्य काम जनता में वर्ग चेतना पैदा करना है और तब वर्तमान विरोधी नेतृत्व अपने आप ध्वस्त हो जायेगा.
8. राजनीतिक आज़ादी जीतने के लिए शोषकों और शोषितों का गठजोड़ ज़रूरी हो सकता है परन्तु शोषकों और शोषितों के गठजोड़ से समाज के पुनर्निर्माण हेतु साँझा पार्टी बनाना जनता को धोखा देना है.
9. पूंजीपतियों और ब्राह्मणों के हाथ में राजनीतिक सत्ता देने से उन की प्रतिष्ठा बढ़ेगी. इस के विपरीत दलितों और पिछड़ों के हाथ में सत्ता देने से राष्ट्र की प्रतिष्ठा बढ़ेगी और यह भौतिक समृद्धि बढ़ाने में सहायक होगा.
10. राजनीतिक सत्ता सामाजिक प्रगति की चाबी है और दलित संगठित होकर सत्ता पर कब्ज़ा करके अपनी मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं. राजनीतिक सत्ता का इस्तेमाल समाज के विकास के लिए किया जाना चाहिए.
11. “राजनीतिक सत्ता का मुख्य ध्येय सामाजिक और आर्थिक सुधार करना होना चाहिए.”
12. “हमें पिछड़ों और आदिवासियों के साथ गठजोड़ करना चाहिए क्योंकि उन की स्थिति भी दलितों जैसी ही है. उनमें फिलहाल राजनीतिक चेतना की कमी है.”
13. नायक पूजा के खिलाफ:
“असीमित प्रशंसा के रूप में नायक पूजा एक बात है. नायक की आज्ञा मानना एक बिलकुल अलग तरह की नायक पूजा है. पहली में कोई बुराई नहीं है परन्तु दूसरी बहुत घातक है. पहली प्रकार की नायक पूजा व्यक्ति की बुद्धि और कार्य स्वतंत्रता का हनन नहीं करती है. दूसरी व्यक्ति को पक्का मूर्ख बना देती है. पहली से देश का कोई नुक्सान नहीं होता है. दूसरी प्रकार की नायक पूजा तो देश के लिए पक्का खतरा है.”
“यदि आप शुरू में ही नायक पूजा के विचार पर रोक नहीं लगायेंगे तो आप बर्बाद हो जायेंगे. किसी व्यक्ति को देवता बना कर आप अपनी सुरक्षा और मुक्ति के लिए एक व्यक्ति में विश्वास करने लगते हैं जिस का नतीजा होता है कि आप निर्भर रहने तथा अपने कर्तव्य के प्रति उदासीन रहने की आदत बना लेते हैं. यदि आप इन विचारों के शिकार हो जायेंगे तो राष्ट्रीय जीवन में आप लकड़ी के लट्ठे की तरह हो जायेंगे. आप का संघर्ष समाप्त हो जायेगा.”

मंगलवार, 3 मार्च 2020

आपने आज ऐसा क्या देखा जिसे देखकर आपको विश्वास नहीं हुआ?


इस दरवाजे बनाने वाले मिस्री की कला को सलाम है। इसमें लगता है कि कोई स्त्री दरवाजा खोल रही है। जबकि यह दरवाजा बंद है। इसको इस तरीके से मिस्री ने बनाया है कि घर पर कोई औरत आपका इंतजार करती है। वो आपकी माँ , बीवी या बेटी हो सकती हैं। इसलिए जीवन के मूल्य को समझें।