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रविवार, 13 नवंबर 2022

ऐसी कौन सी बातें हैं जिन्हें सभी को बताने की जरूरत है?

यह एक ₹100 का नोट है, एक पहाड़ की तस्वीर के साथ, दुख की बात है कि यह उल्लेख नहीं है कि पर्वत शिखर का नाम क्या है।

यह वास्तविक तस्वीर है। यह पर्वत शिखर माउंट कंचनजंगा है, जो दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची पर्वत चोटी है, और आंशिक रूप से नेपाल में और आंशिक रूप से सिक्किम, भारत में स्थित है।

असली तस्वीर पेलिंग, सिक्किम से ली गई है। यह भारत के सबसे छोटे और सबसे खूबसूरत राज्यों में से एक है।

अब ऐसा क्या कहना है।

जगह - मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट का अराइवल हॉल।

एक जर्मन पर्यटक ने ₹100 की मुद्रा दिखाते हुए 5-6 भारतीयों से पूछा कि यह कौन सा पर्वत शिखर है और कहाँ है। मेरे आश्चर्य के लिए उनमें से कोई भी इसका उत्तर नहीं दे सका।

हम हर दिन अपनी मुद्रा पर पर्वत शिखर की तस्वीर देखते हैं और फिर भी हमें इसकी जानकारी नहीं होती है।

इस संदेश को पढ़ने के बाद मुझे यकीन है कि अगली बार किसी के द्वारा पूछे जाने पर आप इस प्रश्न का उत्तर देने में सक्षम होंगे।

यह ₹20 का नोट है और तस्वीर पोर्ट ब्लेयर के नॉर्थबे लाइट हाउस की है।

छवि स्रोत: गूगल

शुक्रवार, 11 नवंबर 2022

अमेरिका इतना अमीर कैसे बना?

क्योंकि अमेरिका में सरकारी दफ्तरों में बाबू बिना चाय पानी का खर्चा लिए भी काम कर देता है।

क्योंकि उनके यहां सरकारी अस्पतालों में जाने वाले मरीजों को वहां के स्टाफ की गालियां नहीं खानी पड़ती और स्टाफ के लोग से भी जो पूछते हैं अगर उनको पता होता है, तो बता देते हैं ना कि यह कहते हैं कि "हम यहां यही करने बैठे हैं?"।

वहां के अस्पतालों के जांच उपकरण भी ज्यादातर काम करने वाले होते हैं ऐसा नहीं होता कि जो सस्ती जाते हैं वहां हो जाती हैं और महंगी जांचे बाहर लिख दी जाती हैं।

उनके यहां सरकारी दफ्तरों में भी एक आम कर्मचारी के लिए और सबसे बड़े अधिकारी के लिए एक ही टॉयलेट होता है, यह नहीं कि बड़े अधिकारी का चमचम आता रहता है और बाकियों का गंध से भरा रहता है।

क्योंकि वहां नालियों के किनारे चुना केवल तब नहीं पड़ता जब कोई नेता आने वाला हो।

क्योंकि अमेरिका के सिस्टम में ज्ञानवान नौजवान किसी कोचिंग में ₹12000 के वेतन पर नहीं पढ़ात और हल्का ज्ञान रखने वाले सरकारी स्कूलों में 50000 वेतन नहीं पाते।

उनके यहां धार्मिक सहिष्णुता दिखाने के लिए किसी खास धार्मिक वर्ग के धर्मगुरुओं को जनता की गाढ़ी कमाई से वेतन नहीं दिया जाता और उसके बाद भी धर्मनिरपेक्षता का ढिंढोरा भी कोई नहीं पीटता।

उनके यहां अंडमान निकोबार द्वीपसमूह में अंग्रेजों से लड़कर हजारों कठोर यातनाएं सहने वाले किसी सावरकर को गालियां नहीं दी जाती और ना किसी लॉर्ड माउंटबेटन को आजादी के बाद भी पहला गवर्नर जनरल बनाया जाता है।

उनके यहां अगर किसी को बिजनेस करने के लिए लोन चाहिए होता है, तो उसके लिए उसे बैंक मैनेजर की जी हुजूरी नहीं करनी पड़ती।

उनके यहां उच्च पदों पर वह व्यक्ति पहुंचता है जिसके अंदर योग्यता ज्यादा होती है , ना कि वह व्यक्ति पहुंचता है जिसके पास पैसा ज्यादा होता है।

आपके पास ऐसा क्या है जिससे आप किसको भी खुश कर सकते हैं?


चीन से एक आदमी भारत आया। उसने हवाई अड्डे पर एक टैक्सी ली।

सड़क पर बस को देखकर उसने टैक्सी ड्राइवर से कहा कि भारत में बसें बहुत धीमी चलती हैं। चीन में बसें बहुत तेज चलती हैं।

कुछ पल बाद, वह एक रेलवे पुल पर आया और देखा कि पुल के ऊपर से एक ट्रेन गुजर रही है। तब चीनी आदमी ने ड्राइवर से कहा कि, यहां ट्रेनें भी बहुत धीमी चलती हैं। चीन में ट्रेनें बहुत तेज चलती हैं।

पूरी यात्रा के दौरान उसने ड्राइवर से भारत की बदनामी की शिकायत की। हालांकि, पूरी यात्रा के दौरान टैक्सी चालक चुप रहा।

चीनी आदमी जब अपने गंतव्य स्थान पर पहुंचा तो उसने ड्राइवर से पूछा मीटर रीडिंग और टैक्सी का किराया क्या है।

टैक्सी ड्राइवर ने जवाब दिया कि रु. 10,000/- है

टैक्सी का किराया सुनकर चीनियों के होश उड़ गए। वह चिल्लाया "क्या तुम मुझसे मजाक कर रहे हो? आपके देश में बसें धीमी चलती हैं, ट्रेन धीमी चलती है, सब कुछ धीमी है। एक मीटर अकेले तेज कैसे दौड़ता है? "

इस पर टैक्सी ड्राइवर ने शांतिपूर्वक जवाब दिया,

सर, *"मीटर मेड इन चाइना है"* 😜

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साभार