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गुरुवार, 30 मार्च 2023

क्या कुछ लोग जीवन की कठिन चुनौतियों के कारण अपराधी बन जाते हैं?

उत्तर प्रदेश के शहर फर्रुखाबाद में सुभाष बाथम नामक एक पुरुष ने स्थानीय जिला मजिस्ट्रेट को एक पत्र लिखा जिसमें उसने बताया कि वह एक मजदूर है। उसके घर में शौचालय की सुविधा नहीं है, उसकी बीमार माँ को खुले में शौच करना पड़ता है। वादे के बावजूद सरकार ने उसे सरकारी घर नहीं दिया।

सुभाष को एक हत्या के आरोप में कैद हुई थी और वह जमानत पर निकला था। उसे स्थानीय लोगों पर गुस्सा था क्योंकि उन्होंने उसे गिरफ्तार करवाया था। जमानत पर छूटने के बाद सुभाष ने स्थानीय लोगों से बदला लेने का षड्यंत्र बनाया।

उसने अपनी बेटी के जन्मदिन के बहाने आसपास के लोगों के बच्चों को एक पार्टी का न्योता दिया। बच्चे आए, लेकिन पार्टी नहीं हुई। सुभाष ने 20 से अधिक बच्चों को घर के अंदर बंधी बना लिया।

10 घंटे तक पुलिस सुभाष के घर को घेर कर उसके साथ बात करती रही, और इस पूरे समय 20 से अधिक बच्चे सुभाष के बंधक बने रहे। स्थानीय लोग पूरी रात जागते रहे। पुलिस ने सुभाष को सरेंडर करने के लिए प्रोत्साहित किया, लेकिन सफल नहीं हो पाए।

10 घंटे के बाद स्पेशल फोर्स को बुलाया गया। इतने में ही सुभाष ने घर के अंदर गोली चलाई, जिसके बाद पुलिस और इंतजार ना कर पाई। पुलिस और स्पेशल फोर्स ने घर के अंदर घुस कर सुभाष का एनकाउंटर कर दिया। खुशकिस्मती से सारे बच्चे सुरक्षित थे।

सुभाष की पत्नी ने भागने की कोशिश की तो स्थानीय लोगों ने उस पर पत्थर और ईंटों से हमला कर दिया। उसे हस्पताल लाया गया लेकिन उसकी मौत हो गई।

सुभाष को सरकार पर गुस्सा था, स्थानीय लोगों पर गुस्सा था, कानून पर भी गुस्सा था। उसने बदले की भावना से अपराध किया और ना सिर्फ खुद मरा बल्कि पत्नी को भी साथ ले गया। जिस माँ की तकलीफ की वह बात करता था, अपराध करते समय उस माँ के बारे में उसने नहीं सोचा। जो समय षड्यंत्र बनाने में लगाया, उसी में और मेहनत करता तो शायद उसका भला हो जाता। जीवन भी गंवाया और लोगों की नज़रों में राक्षस बनकर रह गया।

बुरे हालात एक व्यक्ति को शायद अच्छे पाठ पढ़ा सकते है, शायद कठोर और गुस्सैल भी बना सकते हैं, लेकिन अपराधी कभी नहीं बना सकते। अपराधी वही बनता है जिसमें अपराध करने की क्षमता हो, इसमें हालात का दोष नहीं।

मूल स्रोत: Locals beat wife of hostage-taker to death

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