हमारे यहां घाघ की कहावतें बहुत प्रसिद्ध हैं खासकर मौसम को लेकर…
एक कहावत है: "जब जेठ बहे पुरवाई, तब सावन धूल उड़ाई"
और हकीकत यही है कि जेठ में खूब बारिश होने के बाद अब सावन में खेतों में दरारें फूट रही हैं!
नमस्कार, मैं Anoop Chicham Foundation For Ecological Security Mandla में MIS ऑपरेटर, हूँ इसी तरह अपना सहयोग देते रहिये और हम आपके लिए नईं-नईं जानकारी उपलब्ध कराएंगे
हमारे यहां घाघ की कहावतें बहुत प्रसिद्ध हैं खासकर मौसम को लेकर…
एक कहावत है: "जब जेठ बहे पुरवाई, तब सावन धूल उड़ाई"
और हकीकत यही है कि जेठ में खूब बारिश होने के बाद अब सावन में खेतों में दरारें फूट रही हैं!
अगर आपके पास गांव में 2-4 बीघा जमीन भी है तो कभी उसे भूलकर भी मत बेचना आपकी नौकरी या सर्विस सेक्टर कितना भी अच्छा क्यों ना हो कब ध्वस्त हो जाएगा पता नही चलेगा जिस स्पीड से टेक्नोलॉजी चेंज हो रही है Food Sector को छोड़कर किसी का भी कोई भरोसा नही
हर 15 दिन में कोई नही इनोवेशन होती है और वो हमेशा पुरानी को रिप्लेस करने ही आती है और साथ-साथ पुरानी टेक्नोलॉजी से जुड़े हुए जो लोग होते है वो या तो बेरोजगार होते है या फिर नही लाइन पकड़ने के लिए भटकते रहते है
आप सिर्फ 10-15 साल का इंतजार करो
क्योंकि जिस हिसाब से जनसंख्या बढ़ रही है उससे खाद्यान्न की डिमांड ओर बढ़ेगी और उसकी सप्लाई कम होगी एक दिन ऐसा समय आएगा जब खूब पैसा देने के बाद भी अनाज नहीं मिलेगा तब सबको किसान नजर आएगा क्योंकि जीना सबसे पहली जरूरत है इंसान की