लाहौर की बादशाही मस्जिद —इसके बारे में कहा जाता है कि औरंगज़ेब ने दिल्ली के जामा मस्जिद के डिज़ाइन से प्रेरणा लेकर इसे बनवाया था।इतिहास में लम्बे अरसे तक इसमें कोई prayer नही हुई। 1799 में जब सिखों का इस पर नियंत्रण हुआ तो उन्होंने इसको सैनिकों को रखने एवं प्रशिक्षण देने के मक़सद से इसका प्रयोग किया।
Source: [1]बादशाही मस्जिद के ठीक पीछे लाहौर का रेड लाइट एरिया हीरा मंडी है।तकरीबन 200 साल पहले सिख सरदार हीरा सिंह ने फ़ूड stuff के लिए एक मार्किट की स्थापना की जिसे हीरा मंडी के नाम से जाना गया।मुग़ल दौर में इस जगह को शाही मोहल्ला कहा जाता था और यहाँ दरबार की नर्तकी एक खास उम्र होने पर(एक तरह का रिटायरमेंट)यहां रहती थी और ये कलाकारों के लिए जाना जाता था।अंग्रेज़ो के आने के बाद इसका नाम वैश्यावृत्ति से जुड़ गया।
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शालीमार बाग़ —लाहौर को बागों का शहर माना जाता है।
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लाहौर क़िला जो शाहजहाँ के दौर में बना,मुग़ल साम्राज्य के पतन के बाद ये महाराजा रणजीत सिंह का निवास स्थान बना।
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लाहौर क़िला -elephant गेट
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नौनीहाल सिंह की हवेली जो अब girls स्कूल है।ये लाहौर की सबसे शानदार हवेलियों में से ऐक मानी जाते है।नौनीहाल सिंह ,रणजीत सिंह के grandson थे।
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Gwalmandi फ़ूड स्ट्रीट —-ये लाहौर की प्रसिद्ध फ़ूड स्ट्रीट मानी जाती है ।हिंदुस्तान के विभाजन के समय काफ़ी लोग अमृतसर व आसपास के शहरों से आकर यहाँ बस गए थे रोज़गार कुछ था नही तो लोगों ने अपने घरों के सामने ही फ़ूड स्टॉल लगाने शुरू कर दिए और आगे चलकर ये मशहूर फ़ूड स्ट्रीट बन गई।
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वज़ीर खान मस्जिद जिसको शाहजहाँ के हकीम वज़ीर खान ने बनवाया था।ये मुग़ल दौर की सबसे ज्यादा decorated मस्जिद मानी जाती है।ये बेहतरीन स्थापत्यकला का नमूना मानी जाती है।
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लाहौर का शीशमहल— इसका निर्माण शाहजहाँ के दौर में हुआ। शाहजहाँ ने इसको मुमताज़ महल के लिए बनवाया था जब वो लाहौर में रहती थी।लेकिन इसके पूरा होने से पहले ही मुमताज़ महल की मृत्यु हो गई।आजतक किसी को पता नही चल पाया कि शीशमहल में प्रयोग शीशे किस material से बने हुए है।सूरज की रोशनी में शीशों के reflections लाजबाब दिखाई देते हैं।
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लाहौर में सर गंगाराम की समाधि—लाहौर की उन्होंने एक नही बल्कि दर्ज़नो इमारतों को डिज़ाइन किया जैसे नेशनल कॉलेज ऑफ आर्ट्स, लाहौर म्यूजियम, जनरल पोस्ट आफिस इत्यादि।लाहौर के मशहूर गंगाराम अस्पताल की नींव भी उन्होंने ही रखी थी
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लाहौर का अनारकली बाज़ार सबसे ज़्यादा पुराने बाज़ारों में से ऐक है। यह 200 साल से ज़्यादा पुराना है।सलीम की अनारकली का मक़बरा इसी के पास है ।इसी के नाम पर बाज़ार का नाम पड़ा।संडे को यहाँ सेकंड हैंड किताबों का बाज़ार भी लगता हैl
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चिराग तले अंधेरा तो होता ही है।लाहौर में अब सिर्फ दो ही functional हिन्दू मंदिर है।उनमें से एक मंदिर —जहाँ वाल्मीकि समाज के लोग धार्मिक अवसर पर इकठ्ठा होते है।
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