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सोमवार, 1 जनवरी 2024

क्या होता अगर गूगल नही होता तो ?

आज दुनिया से मौलिकता खत्म सी होती जा रही है ।

लोगों के पास अपने मौलिक विचार होते ।

किताबों से प्रेम खत्म नहीं होता और न हीं कोई ये कहने को बेबस होता…

कागज की ये महक ये नशा रूठने को है ये आखिरी सदी है किताबो से इश्क की …

शिक्षको के प्रति आज जो आदर की भावना दिनों प्रतिदिन कम होती जा रही है उसके पीछे एक कारण गूगल भी है ।शिक्षक केवल किताबी शिक्षा ही नहीं देते अपितु छात्रो के चरित्र को भी आकार देते है । उनकी जगह गूगल कभी भी नहीं ले सकता ।

वास्तविकता में हम हर जानकारी के लिए गूगल पर निर्भर हो गये है जिससे हमारी स्मरणशक्ति में निरंतर कमी आती जा रही है ।

कक्षा नौ या दस में एक वाद विवाद प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था जिसमें विषय था …..

Science is a good servant but a bad master.

जिस तरह से हम लोगो ने गूगल को अपना स्वामी बना रखा है ।ये विषय बिल्कुल उचित प्रतीत होता है ।

गूगल एक बहुत लाभदायक सर्च इंजन है इसे अपना सेवक बनाये स्वामी न बनने दें ।

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