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रविवार, 23 जून 2024

इस साल होगी भारी बारिश!

किसी मशीन ने नहीं, बल्कि इस पक्षी के अंडों ने की भविष्यवाणी.

इस साल भारत में गर्मी ने अपना रौद्र रूप दिखाया है. गर्मी का ऐसा कहर पहली बार देखने को मिला है. नौतपा के दौरान हालत और खराब हो गए. कई जगहों पर गर्मी के कारण ट्रांसफार्मर में आग लग गई. गर्मी को देखते हुए लोग मानसून का इंतजार कर रहे हैं. वैसे तो विज्ञान ने काफी तरक्की कर ली है. कई ऐसी मशीनें बन गई हैं जो मौसम की भविष्यवाणी करती हैं. लेकिन इस बार मानसून की भविष्यवाणी पक्षियों के अंडों ने की है.

जी हां, मान्यताओं की मानें तो इस साल खूब बारिश होने वाली है। पुराने जमाने में आधुनिक मशीनें नहीं थीं। ऐसे में लोग आने वाले समय में मौसम कैसा रहेगा, यह जानने के लिए प्राकृतिक तरीकों का इस्तेमाल करते थे। बारिश का अनुमान लगाने के लिए इन तरीकों का खूब इस्तेमाल किया जाता था। इस साल मानसून कैसा रहेगा, इसे लेकर प्रकृति ने खास संकेत दिए हैं। मौसम विज्ञानी भी इस भविष्यवाणी को लगभग सही मान रहे हैं।

चिड़िया के अंडे ने दिया संकेत

पहले के समय में लोग सैंडपाइपर के अंडों को देखकर अंदाजा लगाते थे कि बारिश कैसी होगी। जी हां, इस पक्षी के अंडे मानसून की चाल के बारे में बताते थे। इसके द्वारा की गई अधिकतर भविष्यवाणियां सही साबित होती थीं। सैंडपाइपर के अंडे आसानी से दिखाई नहीं देते। लेकिन इस साल दौलतपुरा के सेवापुरा रामपुरा गांव के एक खेत में सैंडपाइपर ने अंडे दिए हैं। इसे देखकर अंदाजा लगाया जा रहा है कि इस साल मानसून जबरदस्त रहने वाला है।

ऐसी बारिश होगी

ऐसा कहा जाता है कि सैंडपाइपर जितने अंडे देती है, उतने ही महीने बारिश होती है. यानी अगर यह चार अंडे देती है, तो चार महीने बारिश होगी. इसके अलावा अगर सैंडपाइपर ने कम जगह पर अंडे दिए हैं, तो इसका मतलब है कि कम बारिश होगी. ऊंची जगह का मतलब है कि ज्यादा बारिश होगी. इस कारण से पक्षी ने सुरक्षा के लिए ऊंचे स्थान पर अंडे दिए हैं. आम तौर पर सैंडपाइपर अप्रैल से जून के दूसरे हफ्ते में अंडे देती है. हालांकि विज्ञान इससे सहमत नहीं है. लेकिन पक्षियों के अंडों को लेकर ज्यादातर भविष्यवाणियां सही साबित होती हैं. ऐसे में इस साल अंडे देखकर किसानों में खुशी का माहौल है.

सोमवार, 10 जून 2024

भारत को विविधता पूर्ण राष्ट्र क्यों कहा जाता है ?

भारत विविधताओं का देश है. कहा जाता है कि यहां हर 3 कोस पर बोली और भोजन बदल जाता है. राजस्थान भी इससे अछूता नहीं है. राजस्थान के समृद्ध संस्कृति और प्रथाओं को आज यहां के स्थानीय लोगों ने जिंदा रखा है.

प्रदेश के हाड़ौती क्षेत्र भी अपनी समृद्ध परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है. हाड़ौती की लोक संस्कृति और प्रथाओं को ग्रामीणों ने आज भी जीवंत रखा है.

झालावाड़ जिले के बकानी गांव के कमलपुरा में एक ऐसी प्रथा जीवंत है, जिसे सुन और देखकर विशेष अनुभूति का आभास होता है. यहां एक गांव समरसता का उदाहरण पेश कर रहा है. इस गांव में भगवान सत्यनारायण की कथा साल में एक बार कराई जाती है और उस कथा के दौरान जो आयोजन होते है, वह अपने आप में अनूठा हैं. इस गांव में कथा से पहले भगवान की भजन संध्या होती है. ग्रामीण रातभर भगवान के भजन करते हैं, नाचते गाते हैं और खुशी मनाते हैं.

गांव के टोडरमल लोधा ने बताया कि करीब 50 साल से भी अधिक समय से यह प्रथा चली आ रही है. उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति स्वयं अपने स्तर पर भगवान सत्यनारायण की कथा नहीं करवा सकता, न ही उसके बाद भोजन और अन्य आयोजन करवा सकता है. ऐसे में गांव के एक-एक घर को शामिल करते हुए इस आयोजन को सामूहिक किया जाता है, जिसमें एक-एक घर की भागीदारी होती है.

टोडरमल लोधा ने कहा कि यह आयोजन भले ही लोधा समाज का होता हो, लेकिन इसमें सहयोग पूरा गांव करता है. टोडरमल लोधा ने बताया कि इस आयोजन को करने के लिए प्रत्येक घर पर जाया जाता है. इस मौके पर प्रत्येक व्यक्ति के हिसाब से आटा, दाल, कंडे और पैसे जमा किए जाते हैं. एक घर, एक परिवार से 3 किलो आटा, प्रति व्यक्ति 6 कंडे, प्रति व्यक्ति 50 रुपये और प्रति व्यक्ति 400 ग्राम दाल ली जाती है.

इस बार 707 व्यक्तियों ने यह सामग्री दी है. इसके अनुसार, करीब 28 क्विंटल आटा, 300 किलो दाल, 4 हजार से अधिक कंडे इसमें इस्तेमाल किया जाना है. टोडरमल ने बताया कि बाटियां बनाने के लिए 12 खाट, निवार की खाट (पलंग) का उपयोग किया जाता है. घर-घर में जहां भी खाट होती है, वहां से मंगा ली जाती है. कम पडने पर निवार की खाट का उपयोग किया जाता है. इसके बाद जब बाटियों को सेंका जाता है, तो तीन गांव के लोग बाटियों को सेंकने आते हैं. करीब 300 से 400 व्यक्ति इन बाटियों को सेंकते हैं.

यही नहीं इसमें करीब 4242 कंडे का उपयोग किया जाता है. उसके बाद बाटियों को कंडे की राख में गाड़ दिया जाता है और ऊपर से काली मिट्टी से इस तरह दबा दिया जाता है, जिससे हवा अंदर न जाए. अंदर हवा जाने से बाटियां खराब हो जाती हैं. ग्राम वासियों ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि इस दिन हम गांव के सभी मंदिरों के ध्वज बदल देते हैं, साथ ही भगवान के कपड़ों को बदलते हैं और श्रृंगार करते हैं. जहां मंदिरों की सफाई और रंग रोगन होता है.

ग्रामीणों के मुताबिक, रविवार की सुबह सत्यनारायण भगवान की कथा होगी. इसके बाद प्रसाद वितरण होगा और दोपहर बाद से भंडारे का आयोजन किया जाएगा. जिसमें 60 गांव के व्यक्ति आएंगे और प्रसादी ग्रहण करेंगे. इसके अलावा गांव की जिन बहन बेटियों की दूसरे गांव में शादी हुई है, उन्हें भी निमंत्रण भेजा जाता है और फोन से सूचना दी जाती है.

जय जोहार

शुक्रवार, 7 जून 2024

नाचने' आये हैं।

नाम में बहुत कुछ रखा है 😂👇 पढ़िए नाम के पंगे की कहानी

सीमावर्ती जिले जैसलमेर से #बीकानेर बस रुट पर ....

बीच में एक बड़ा सा गाँव आता है जिसका नाम #नाचने है

वहाँ से बस आती है तो लोग कहते है कि

"नाचने" वाली बस आ गयी 😂🚌

कंडक्टर भी बस रुकते ही चिल्लाता..

'नाचने' वाली सवारियाँ उतर जाएं बस आगे जाएगी 😂

इमरजेंसी के टाइम में रॉ RAW का एक नौजवान अधिकारी जैसलमेर आया

रात बहुत ज्यादा हो चुकी थी,

वह सीधा थाने पहुँचा और ड्यूटी पर तैनात सिपाही से पूछा -

थानेदार साहब कहाँ हैं ?

सिपाही ने जवाब दिया थानेदार साहब 'नाचने' गये हैं .😂

अफसर का माथा ठनका उसने पूछा डिप्टी साहब कहाँ हैं..?

सिपाही ने विनम्रता से जवाब दिया-

हुकुम 🙏🏻 डिप्टी साहब भी नाचने गये हैं.. 😎

अफसर को लगा सिपाही अफीम की पिन्नक में है, उसने एसपी के निवास पर फोन📞 किया।

एस.पी. साहब हैं ?

जवाब मिला 'नाचने' गये हैं..!!

लेकिन 'नाचने' कहाँ गए हैं, ये तो बताइए ?

बताया न 'नाचने' गए हैं, सुबह तक आ जायेंगे।

कलेक्टर के घर फोन लगाया वहाँ भी यही जवाब मिला, साहब तो 'नाचने' गये हैं..

अफसर का दिमाग खराब हो गया, ये हो क्या रहा है इस सीमावर्ती जिले में और वो भी इमरजेंसी में।

पास खड़ा मुंशी ध्यान से सुन रहा था तो वो बोला - हुकुम बात ऐसी है कि दिल्ली से आज कोई मिनिस्टर साहब 'नाचने' आये हैं।

इसलिये सब अफसर लोग भी 'नाचने' गये हैं..!! 😂😂

#jaisalmerdairies

#jaisalmerjourney

#jaisalmertrip

#नाचना

#rajasthantourism

बुद्धिमान होने के कुछ विशेष गुण क्या हैं?

1. वे अन्य लोगों की तुलना में दीवारों पर अधिक घूरते हैं।

2. कल्पना उन्हें कभी नहीं छोड़ती। कल्पना के बिना वे कुछ भी नहीं हैं।

3. समूह को छोड़ दें जब उन्हें लगता है कि उनमें से लोग उनके साथ असंगत हैं।

4. आम तौर पर विनम्र, परिपक्व, जीवन दर्शन के बारे में अच्छा ज्ञान।

5. नियमों का पालन करने में असहज महसूस करें।

6. अपने काम में बहुत संघर्ष करते हैं। वही उन्हें सुख देता है।

7. अपने लिए ढेर सारा स्वाभिमान।

8. मौन में, वे हमेशा खुश और शांतिपूर्ण रहते हैं।

9. उन्हें बस प्यार की जरूरत है। यह उन्हें मजबूती से आकर्षित कर सकता है।

10. जिज्ञासु लोगों की संगति से प्यार करें।

मूल स्रोत - इंटरनेट

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खटिया मे सोने का सुख

लंबा चौड़ा दहलान मे खटेहटी (बिना बिस्तर ) के

खटिया मे सोने का सुख और वो भी अगर दो चार

दोस्त या फिर मेमेरे चचेरे फुफेरे भाई बहन मिल जाए

तो क्या कहने बाहर की।

चिलचिलाती तपती धूप मे ये दहलान किसी 5 स्टार

के AC रूम से कम नहीं होता, जिसमे चुहलबाजी के

साथ साथ गप्पों का सुख.... पैसा कम था खुशियाँ

ज्यादा , गाँव में बिजली तो नहीं थी मगर सुकून बड़ा

था , परेशानियां बहुत थीं मगर इंसान आज से ज्यादा

सुखी था ।सच मे कितना इंतजार होता था रिश्तेदारों

के आने का ..

फिर शुरू होती थी मेहमानबाजी ...घर मे कुछ है या

नहीं मेहमान को खबर नहीं लगनी चाहिए ...सच मे

बड़े सुहाने दिन थे कितने बाते होती थी कि दिन और

राते कम पड़ जाती थी.......... जानें कहाँ गए खो वो

दिन 😞😞😞😞 कोई तो वापस ला दो

अब तो न किसी के पास समय न किसी के पास आने

जाने कि फुर्सत ...रिश्तेदारी मे जाने कि जगह लोग

पहाड़ या फिर कही और घूमने जाना ज्यादा पसंद

करने लगे ........

Modi 3.0

नीतीश के लिये अपने 12 सांसद बरकरार रखना मुश्किल होगा .

संजय झा जो आज तक एक भी पंचायत का चुनाव नहीं जीत सका , उसको केंद्र में मंत्री बनवाना कई लोकसभा सांसदों को अखर सकता है .

ललन बाबू के साथ अति पिछड़ा समाज के मंत्री बनवाना ही नीतीश के लिये बेहतर होगा वरना एक वैशाखी कभी भी हट सकती है .

केंद्र में ज़्यादा सांसद के लिये बिहार की सरकार को शहीद भी किया जा सकता है .

मोदी सरकार इस बार उस सरकारी बस की तरह होगी

✍️ मोदी सरकार इस बार उस सरकारी बस की तरह होगी, जिनमे मोदी साहिब ड्राइवर होंगे, तो नीतीश कुमार और नायडू इसके बस कंडक्टर।

तो बीच मैं पैसेंजर रूपी जनता बैठी रहेगी।

अब जब मोदी जी खूब मज़े से बस भगा रहें होंगे, तो नीतीश जी अपनी आदत से बाज़ नहीं आएंगे और बीच में मोदी साहिब को कंधों से हिलाते हुए डिस्टर्ब करेंगे कि,

“बहुत हो गया अब उठिए, अब बस मैं चलाता हूं, फिर देखना कैसे भगाता हूं।” 😝

उधर नायडू जी आएंगे और नीतीश जी को कहेंगे कि ठीक है, ठीक है।

अब बस तू चला और यह पैसों वाला बैग मुझे पकड़ा और धीरे से बैग लेकर राज्य की ओर रफ्फू चक्र हो जाएंगे। 🤣


खैर! यह तो थी मज़ाक की बात।

मेरे मत अनुसार मोदी साहिब इस बार मोटे भाई को सरकार के कामकाज से बिलकुल मुक्त रखेंगे और उन्हें उनके मनपसंद कार्य में लगा देंगे।

इस लिए, चिंतित होने की आवश्कता नहीं हैं..

  • एक सहयोगी जाएगा तो मोटे भाई दो को लेकर आ जाएंगे। 😄
  • ईडी सीबीआई भी किस दिन काम आएंगे, धूल लगी फाइलों को फिर बाहर निकाल ले आएंगे। 😜
  • बीजेपी के पास कौन सी पैसों की कमी है, सुना है इस बार 1–1 सीट जीतने वाले भी बहुत हैं तो 1….1 बहुत होगा। 😝

अब वो बिंदु, जिस से एनडीए की तस्वीर बदली बदली नज़र आएंगी। जब कुछ समय बाद ममता बहन भी दिल्ली में साहिब के साथ बैठी नज़र आएंगी। 🤣


बड़े दुख के साथ ये कहना पड़ रहा है

बड़े दुख के साथ ये कहना पड़ रहा है कि उत्तर प्रदेश राज्य ने ही भाजपा की लुटिया डूबा दी । या सायद मुझे कहना चाहिए इस पूरे देश का भविष्य उत्तर प्रदेश ने बर्बाद कर दिया।

मुझे बिल्कुल भी समझ मे नही आ रहा है कि यूपी के लोगो ने भला क्यों सपा कोंग्रेस को इतना बढ़ चढ़कर वोट दिया ?

ये बहुत ज्यादा हैरान करने वाला है कि यूपी में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है जी हा सपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है यूपी में जिन्होंने 37 सीट भाजपा से छीन लीया। घोर हरानी है मुझे।

मैं अगर मान भी लू की सपा को हर हाल में 10 सीट तो मीलना ही था तब भी 27 सीटे बहुत होती है । भाजपा को 27 सीटों का नुकसान अकेले यूपी से हो गया । मतलब राम मंदिर को किसी ने तवज्जो ही नही दिया। बेहद आश्चर्य है मुझे। इसलिए मैं कहता हूं की हिंदुओ का आध्यात्मिक पतन तो हो चुका है बस धार्मिक पतन होना बाकी है। एक भी मुसलमान मस्जिद को नजरंदाज नही करता लेकिन हिंदू ! और कमेंट में तरह तरह के ज्ञानी हिंदू आएंगे ज्ञान देने की रोजगार कहाँ है ? सपा तुमको रोजगार दे देगी क्या ? महंगाई से परेशान हो सपा महंगाई कम कर देगी क्या ? इस से अच्छा नोटा दबा दे देते । भाजपा से नाराजगी थी तो नोटा दबा देते बेवकूफो , सपा कोंग्रेस को वोट क्यों दिया ? समझ रहा होंगा तुम्हारे लिए पेट्रोल महंगा है मेरे लीये भी महंगा है महंगाई बढ़ी है इसलिए भाजपा से नाराजगी है लेकिन सपा को वोट क्यों दे दिए ? भूल गए मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद का समय जब वो काफिला लेकर घूमते थे और किसी की हिम्मत नही होती थी की उन से नजर मीला ले। भूल गए जब मुलायम सिंह ने मुख्तार को बचाने के लिए शैलेन्द्र नाम के डीएम तक का ट्रांसफर कर दिया था। मतलब खाली रोजगार और महंगाई मुद्दा है राष्ट्रीय सुरक्षा कानून व्यवस्था कोई मुद्दा ही नही है लोगो के लिए। वोट तो ऐसे दिया जैसे लोकसभा नही विधानसभा का चुनाव हो।मतलब कोई राष्ट्रीय सुरक्षा को कैसे भूल सकता है ? सायद लोग भूल गए है इसलिए क्योंकि अब देश मे 26/11 जैसे मुंबई हमले नही हो रहे है तो राष्ट्रीय सुरक्षा कोई मुद्दा ही नही है।

किस बात के लिए रोजगार मांगते हो कि जीवन जीना है इसलिए ना अब कोई गुंडा आकर बंदूक सटाकर मार दे तो करते रहो रोजगार की बाते । जब कानून व्यवस्था ही खराब हो तो रोजगार और महंगाई का तुम क्या आचार डालोगे ? जिंदा रहोगे तभी तो मुद्दा उठाओगे। रोजगार बिल्कुल एक मुद्दा है लेकिन सपा कौनसा रोजगार दे देगा ये अब उसे वोट देने वाले ही जाने। यूपी में सपा जैसी गुंडा पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है । बहुत हैरान हूं।

नतीजों से साफ है हिंदुओ के लीये सिर्फ दो ही मुद्दे है महंगाई और बेरोजगारी बस । आतंकवाद राष्ट्रीय सुरक्षा धारा 370 मंदिर समान नागरिक संहिता जनसंख्या नियंत्रण कानुन जैसे मुद्दों से हिंदुओ को कोई मतलब नही है। यही अगर मुस्लिमो के लिए कोंग्रेस ने बाबरी मस्जिद बनवा दिया होता तो मैं लीख कर दे रहा हु सारे मुसलमान कोंग्रेस को ही वोट देते। वैसे भी बहुत सारे मुसलमानों ने कोंग्रेस सपा को ही वोट दिया है।

आखिर यूपी के हिंदू लोगो ने सपा कोंग्रेस को वोट क्यों दिया ? ये सायद इसी मंच से जुड़े कुछ मोदी विरोधी बता पाए।

भाजपा को मीला 240 सीट अगर इस मे 27 सीट यूपी से और मील जाता तो भाजपा के लीये चिंता की कोई जरूरत नही थी। पर अब है।

लोग महंगाई से परेशान है । बेरोजगारी से परेशान है । तो क्या इन बेवकूफो को सच मे ये लगता है कि सपा कोंग्रेस इन्हें महंगाई से निजात दिला देगी और इन्हें रोजगार दे देगी ?

बिहार जैसे राज्य ने भी भाजपा को 17 में से 15 दे दिया लेकिन यूपी वालो ने गुंडागर्दी वाली पार्टी को वोट दे दिया।

मैं नतीजे देख कर बहुत हैरान हूं । मतलब सपा यूपी में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। ये कैसे हो गया बे ?

लगता है मोदी समर्थक ज्यादातर लोग गर्मियों में घरों में ही पड़े रहे । यही मुझे लग रहा है क्योंकि हर चरण में वोटिंग परसेंट भी बहुत गिरा था।

यूपी के ही कई शहरों में अगर आप 2019 से तुलना करेंगे तो पाएंगे कि कई शहरों में वोटिंग परसेंट 2% से लेकर 10% तक गिरा है और मैं टीवी पे देख रहा था की अभी भी 100 सीटे ऐसी है जहां भाजपा और विरोधी दल में बहुत थोड़ा सा ही अंतर था।

कही पर मात्र 2000 तो कही पर मात्र 500 वोटों का ही अंतर था। कही कही तो उससे भी कम वोटों का अंतर था।

अगर लोग घरों से बाहर निकले होते तो सायद आज तशवीर भी अलग होती।

मोदी विरोधी लोग मुझे तर्क से जरूर समझाने का प्रयास करे कि अगर आप ने महंगाई बेरोजगारी से परेशान होकर कोंग्रेस को वोट दिया तो क्या सच मे कोंग्रेस आपको इन मुद्दों का हल दे देगी ? जरूर बताइएगा। कोंग्रेस तो भाई 100 पार कर गई।

अब प्रधानमंत्री भले मोदी बने या जो भी बने। एक चीज स्पस्ट है

पाकिस्तान अब हमें आंख दिखायेगा और चीन भी। अमेरिका भी अब हमें आंख दिखायेगा। अब भारत के विश्वशक्ति बनने का कोई चांस नही है। क्योंकि कमजोर सरकार कड़े फैसले नही ले पाएगी।

आत्मनिर्भर भारत का सपना तो अब टूट चुका है इसी के साथ काशी मथुरा का मामला भी अब हाथ से नीकल जाएगा। क्योंकि योगी को समझ मे आ जाएगा कि हिंदू लोगो को अपने धर्म से कोई मतलब नही है। सिर्फ मुसलमान इस्लाम के प्रति वफादार होते है । हिंदुओ को बस रोटी कपड़ा मकान दे दो उसी में खुश हो जाएंगे। इनकी आंख तभी खुलेगी जब कोई सत्ता से जुड़ा आदमी पूरे शहर में खुलकर गुंडागर्दी करेगा जैसे अतीक अहमद करता था वैसे ही। तभी आंख खुलेगी वरना तो नही। और इसलिए बेहतर यही है कि भाजपा भी कोंग्रेस की तरह तुष्टिकरण की राजनीति करे क्योंकी हिंदुओ को तो राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई मतलब ही नही है । क्या फर्क पड़ता है राष्ट्रीय सुरक्षा से हम ने तो सिर्फ एक ही मुम्बई हमला झेला है वो भी अब पुरानी बात हो गई है।

अच्छा बहुत से हिंदू बोलते है मंदिर मंदिर करने से वोट नही मीलेगा । तो भाई ये बता दे हम क्या यूरोप जैसे किसी शांतिप्रिय माहौल में रहते है ? आतंकवाद से हम कई दशकों से जूझ रहे है तुम उस मुद्दे को कैसे भूल गए ? विधानसभा चुनाव था क्या जो महंगाई रोजगार के नाम पर वोट दे दिए । और यूपी में क्या अब कोई दबंग आदमी नही है जो सपा कोंग्रेस से जुड़ा हो जो खाली महंगाई रोजगार के नाम पर वोट दे दिए

समान नागरिक संहिता का कानून अब नही आने वाला। एनआरसी जैसा कानून भी अब नही आएगा क्योंकि लोगो को तो राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई मतलब ही नही है। कश्मीर की शांति तो अब धीरे धीरे खत्म होगी। सारे भारत और हिन्दुविरोधी लोगो को एक जोश मील चुका है कि अब भारत को झुकाना आसान है क्योंकि सरकार के पास बहुमत नही है।

उत्तर प्रदेश से भी ज्यादा हैरान मुझे पंजाब ने किया । सारे खालिस्तानियों ने चुनाव जीत लीया है और सब अब संसद में आएंगे। अमृतपाल तक चुनाव जीत गया। अब वो एक सांसद है।

लेकिन क्या भाजपा ने कोई गलती नही की ?

मेरा आकलन

मोदी ने जीतने आत्मविश्वास में भरकर कहा था कि शपथ लेते ही बहुत काम आएंगे ऐसा उन्होंने नही कहना चाहिए था। यही तो उन्होंने गलती किया । overconfidence ले डूबा वो भी बुरी तरह।

झारखंड और दिल्ली के मुख्यमंत्री को जबरन जेल नही भेजना चाहिए था क्योंकि इन का विक्टिम कार्ड चुनाव में चल गया है। हां बिल्कुल इन का विक्टिम कार्ड चुनाव में चल गया है।

मोदी ने जो जोखिम लीया अंततः भारी पड़ गया। इतना जोखिम भी नही लेना चाहिए था। सीबीआई ईडी को इस हद तक चोरों के पीछे लगा दिया कि चोर पब्लिक में जाकर बोलने लगा कि देखो क्या तानाशाही कर रहा है और बेवकूफ पब्लिक भी चोर की बातो में आ गई कि हा मोदी सच मे तानाशाह है।

मुझे बचपन में एक अंकल ने कहा था कि बेटा इस देश से कोई मतलब मत रखो। सिर्फ खुद का देखो बस । इस समाज और इस देश का कुछ नही हो सकता है । लोग हर 10 साल में बीती बातों को भूल जाते है। लेकिन मैं एक पूर्व फौजी का बेटा होने के नाते तब भी इस देश के बारे में सोचता था। एक आशा थी मुझ में की ये देश एक दिन आगे बढ़ेगा और एक दिन आयेगा जब ये देश विश्वशक्ति बनेगा। एक दिन आएगा जब हम POK पर कब्जा कर लेंगे। एक दिन आएगा जब हिंदू जात पात को भूलकर एक हो जाएंगे।

लेकिन अब

अब सब उम्मीदें खत्म सी हो गई है।

सायद किसी ने सही कहा है कि इस सिस्टम को बदलने की कोसिस मत करो जो चल रहा है चलने दो । जैसा भी ये सिस्टम है वैसा ही चलने दो।

एक आदमी आया था सिस्टम बदलने तो लोगो को अच्छा नही लगा। गुंडों की पार्टी को जीता दिया।

अब सोच रहा हु क्या जरूरत थी कृषि कानून लाने की ? क्या जरूरत थी दिल्ली में शाहीन बाग का माहौल बनाने की ? क्या हासिल किया ये सब करके अंततः बहुमत तो नही मीला । बहुमत मील जाता तो राजनीति का चाणक्य मानता। वो भी नही मीला।

हरियाणा के लोग वाकई इतने नाराज हुए भाजपा के अग्निवीर योजना से की कोंग्रेस को ही वोट दे दिया । हद है साला।

ध्रुव राठी का तानाशाही वाला प्रोपेगैंडा सच मे काम कर गया। कितने ही लोग ब्रेनवॉश हुए और कोंग्रेस सपा को वोट दे दिया। ये हाल तब है जब फेसबुक ने कहा था कि उस ने हजारों अकॉउंट्स को डिलीट किया था जो चुनाव प्रभावित करने की कोसिस कर रहे है। सोचिए फेसबुक अगर कार्रवाई ना करता तब क्या हाल होता । । तब तो मैं समझता हूं भाजपा को 200 भी ना मीलते।

इतना काम करने के बाद भी बहुमत नही मीला मतलब प्रचार में भी चूक हुई मोदी से। मैं इस सरकार के सेकड़ो काम गिनवा सकता हु इतना कि किसी की आंख खोलने के लीये काफी हो पर अब कोई फायदा नही।

अब ये देश 2029 तक के लिए अस्थिर है

लेकिन क्या सच मे 2029 तक अस्थिरता रहेगी ?

मुझे लगता है 2029 नही अब ये देश हमेसा अस्थिर रहेगा क्योंकि भाई मुस्लिमो की भी तो जनसंख्या बढ़ती जा रही है वो भी तेजी से । 2029 तक यूपी का ही जनसंख्या और बदल चुका होगा। तो अब भाजपा के लीये जीतना और मुश्किल हो जाएगा।

2019 मे मुझे आज भी याद है सीएए कानून के नाम पर दिल्ली से मुंबई तक गुजरात से असम तक मुसलमान सड़को पर नीकल गए थे क्योंकि उन का तो लक्ष्य साफ है लेकिन हिंदुओ का ?

भाजपा आईटी सेल वाले बोलते थे मोदी को जाने दो योगी आएगा तो तांडव मचा देगा । मैं तो अब सोच रहा हु 2027 में योगी आ पायेगा या नही ? अब तो योगी का भी मुश्किल लग रहा है।

इस से अच्छा होता दिसम्बर में तीनों राज्यो में चुनाव हार जाते कम से कम overconfidence तो नही आता। 2018 में यही हुआ था तीनो राज्यो में हारकर सबक सीखे थे फिर 2019 में प्रचंड बहुमत हासिल किया था।

और अब ………

तीनो राज्यो में जीतकर मुख्य चुनाव में हार गए 😞 अति आत्मविश्वास।

ये भी हो सकता है कि बजट में सरकार ने आम आदमी को जो राहत नही दिया था उसी से परेशान होकर आम आदमी ने कोंग्रेस सपा को वोट दे दिया हो। पर फिर वही सवाल क्या कोंग्रेस सपा सब समस्या का हल कर देंगे ? लोग बहुत जल्दी भूल जाते है मानना पड़ेगा।

इस देश के लीये मैं हर तरह की सारी उम्मीद खत्म मानकर चल रहा हु । अब कोई उम्मीद नही कोई आशा नही। वामपंथीयो का हाथ जोड़कर नमन करना होगा उनकी ताकत और एकजुटता के आगे हम भारतीय कुछ भी नही है । अरे इजरायल जैसे देश को उन्होंने पूरी दुनिया मे अलग थलग कर दिया । हम क्या चीज है।

मान भी लीजिये मोदी अगर फिर से प्रधानमंत्री बनकर आ भी जाये तब भी 2029 में भाजपा की हार पक्की है क्योंकि कड़े फैसले नही ले पाएंगे तो जनता में नाराजगी बढ़ेगी।

मैं अब कोरा पर कोई पोस्ट नही करूँगा। 7 बजे करना होगा तो करूँगा वरना अब नही। मेरा सफर यहां समाप्त हुआ। अब कोई राइट विंग टाइप की पोस्ट नही। फालतू में मैं यहां अपना समय बर्बाद क्यों करु मेरी भी अपनी नौकरी है। मैं अब अपनी नौकरी पर और जीवन मे तरक्की हासिल करने पर ही ध्यान दूंगा।

भाड़ में जाये ये देश ये मतलबी समाज और धर्म। भाड़ में जाये राष्ट्रवाद। मेरे अंकल सही थे इस देश का कुछ नही हो सकता। लोग अतीत को बड़ी जल्दी भूल जाते है।

अपडेट एक फैक्ट बताना चाहूंगा

उड़ीसा बंगाल यहां तक कि तेलंगाना और आंध्र प्रदेश से भी भाजपा को सीटें मीली है केरल से भी सीट मीला है । बस उत्तर प्रदेश ने मामला फंसा दिया।