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शुक्रवार, 7 जून 2024

बड़े दुख के साथ ये कहना पड़ रहा है

बड़े दुख के साथ ये कहना पड़ रहा है कि उत्तर प्रदेश राज्य ने ही भाजपा की लुटिया डूबा दी । या सायद मुझे कहना चाहिए इस पूरे देश का भविष्य उत्तर प्रदेश ने बर्बाद कर दिया।

मुझे बिल्कुल भी समझ मे नही आ रहा है कि यूपी के लोगो ने भला क्यों सपा कोंग्रेस को इतना बढ़ चढ़कर वोट दिया ?

ये बहुत ज्यादा हैरान करने वाला है कि यूपी में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है जी हा सपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है यूपी में जिन्होंने 37 सीट भाजपा से छीन लीया। घोर हरानी है मुझे।

मैं अगर मान भी लू की सपा को हर हाल में 10 सीट तो मीलना ही था तब भी 27 सीटे बहुत होती है । भाजपा को 27 सीटों का नुकसान अकेले यूपी से हो गया । मतलब राम मंदिर को किसी ने तवज्जो ही नही दिया। बेहद आश्चर्य है मुझे। इसलिए मैं कहता हूं की हिंदुओ का आध्यात्मिक पतन तो हो चुका है बस धार्मिक पतन होना बाकी है। एक भी मुसलमान मस्जिद को नजरंदाज नही करता लेकिन हिंदू ! और कमेंट में तरह तरह के ज्ञानी हिंदू आएंगे ज्ञान देने की रोजगार कहाँ है ? सपा तुमको रोजगार दे देगी क्या ? महंगाई से परेशान हो सपा महंगाई कम कर देगी क्या ? इस से अच्छा नोटा दबा दे देते । भाजपा से नाराजगी थी तो नोटा दबा देते बेवकूफो , सपा कोंग्रेस को वोट क्यों दिया ? समझ रहा होंगा तुम्हारे लिए पेट्रोल महंगा है मेरे लीये भी महंगा है महंगाई बढ़ी है इसलिए भाजपा से नाराजगी है लेकिन सपा को वोट क्यों दे दिए ? भूल गए मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद का समय जब वो काफिला लेकर घूमते थे और किसी की हिम्मत नही होती थी की उन से नजर मीला ले। भूल गए जब मुलायम सिंह ने मुख्तार को बचाने के लिए शैलेन्द्र नाम के डीएम तक का ट्रांसफर कर दिया था। मतलब खाली रोजगार और महंगाई मुद्दा है राष्ट्रीय सुरक्षा कानून व्यवस्था कोई मुद्दा ही नही है लोगो के लिए। वोट तो ऐसे दिया जैसे लोकसभा नही विधानसभा का चुनाव हो।मतलब कोई राष्ट्रीय सुरक्षा को कैसे भूल सकता है ? सायद लोग भूल गए है इसलिए क्योंकि अब देश मे 26/11 जैसे मुंबई हमले नही हो रहे है तो राष्ट्रीय सुरक्षा कोई मुद्दा ही नही है।

किस बात के लिए रोजगार मांगते हो कि जीवन जीना है इसलिए ना अब कोई गुंडा आकर बंदूक सटाकर मार दे तो करते रहो रोजगार की बाते । जब कानून व्यवस्था ही खराब हो तो रोजगार और महंगाई का तुम क्या आचार डालोगे ? जिंदा रहोगे तभी तो मुद्दा उठाओगे। रोजगार बिल्कुल एक मुद्दा है लेकिन सपा कौनसा रोजगार दे देगा ये अब उसे वोट देने वाले ही जाने। यूपी में सपा जैसी गुंडा पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है । बहुत हैरान हूं।

नतीजों से साफ है हिंदुओ के लीये सिर्फ दो ही मुद्दे है महंगाई और बेरोजगारी बस । आतंकवाद राष्ट्रीय सुरक्षा धारा 370 मंदिर समान नागरिक संहिता जनसंख्या नियंत्रण कानुन जैसे मुद्दों से हिंदुओ को कोई मतलब नही है। यही अगर मुस्लिमो के लिए कोंग्रेस ने बाबरी मस्जिद बनवा दिया होता तो मैं लीख कर दे रहा हु सारे मुसलमान कोंग्रेस को ही वोट देते। वैसे भी बहुत सारे मुसलमानों ने कोंग्रेस सपा को ही वोट दिया है।

आखिर यूपी के हिंदू लोगो ने सपा कोंग्रेस को वोट क्यों दिया ? ये सायद इसी मंच से जुड़े कुछ मोदी विरोधी बता पाए।

भाजपा को मीला 240 सीट अगर इस मे 27 सीट यूपी से और मील जाता तो भाजपा के लीये चिंता की कोई जरूरत नही थी। पर अब है।

लोग महंगाई से परेशान है । बेरोजगारी से परेशान है । तो क्या इन बेवकूफो को सच मे ये लगता है कि सपा कोंग्रेस इन्हें महंगाई से निजात दिला देगी और इन्हें रोजगार दे देगी ?

बिहार जैसे राज्य ने भी भाजपा को 17 में से 15 दे दिया लेकिन यूपी वालो ने गुंडागर्दी वाली पार्टी को वोट दे दिया।

मैं नतीजे देख कर बहुत हैरान हूं । मतलब सपा यूपी में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। ये कैसे हो गया बे ?

लगता है मोदी समर्थक ज्यादातर लोग गर्मियों में घरों में ही पड़े रहे । यही मुझे लग रहा है क्योंकि हर चरण में वोटिंग परसेंट भी बहुत गिरा था।

यूपी के ही कई शहरों में अगर आप 2019 से तुलना करेंगे तो पाएंगे कि कई शहरों में वोटिंग परसेंट 2% से लेकर 10% तक गिरा है और मैं टीवी पे देख रहा था की अभी भी 100 सीटे ऐसी है जहां भाजपा और विरोधी दल में बहुत थोड़ा सा ही अंतर था।

कही पर मात्र 2000 तो कही पर मात्र 500 वोटों का ही अंतर था। कही कही तो उससे भी कम वोटों का अंतर था।

अगर लोग घरों से बाहर निकले होते तो सायद आज तशवीर भी अलग होती।

मोदी विरोधी लोग मुझे तर्क से जरूर समझाने का प्रयास करे कि अगर आप ने महंगाई बेरोजगारी से परेशान होकर कोंग्रेस को वोट दिया तो क्या सच मे कोंग्रेस आपको इन मुद्दों का हल दे देगी ? जरूर बताइएगा। कोंग्रेस तो भाई 100 पार कर गई।

अब प्रधानमंत्री भले मोदी बने या जो भी बने। एक चीज स्पस्ट है

पाकिस्तान अब हमें आंख दिखायेगा और चीन भी। अमेरिका भी अब हमें आंख दिखायेगा। अब भारत के विश्वशक्ति बनने का कोई चांस नही है। क्योंकि कमजोर सरकार कड़े फैसले नही ले पाएगी।

आत्मनिर्भर भारत का सपना तो अब टूट चुका है इसी के साथ काशी मथुरा का मामला भी अब हाथ से नीकल जाएगा। क्योंकि योगी को समझ मे आ जाएगा कि हिंदू लोगो को अपने धर्म से कोई मतलब नही है। सिर्फ मुसलमान इस्लाम के प्रति वफादार होते है । हिंदुओ को बस रोटी कपड़ा मकान दे दो उसी में खुश हो जाएंगे। इनकी आंख तभी खुलेगी जब कोई सत्ता से जुड़ा आदमी पूरे शहर में खुलकर गुंडागर्दी करेगा जैसे अतीक अहमद करता था वैसे ही। तभी आंख खुलेगी वरना तो नही। और इसलिए बेहतर यही है कि भाजपा भी कोंग्रेस की तरह तुष्टिकरण की राजनीति करे क्योंकी हिंदुओ को तो राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई मतलब ही नही है । क्या फर्क पड़ता है राष्ट्रीय सुरक्षा से हम ने तो सिर्फ एक ही मुम्बई हमला झेला है वो भी अब पुरानी बात हो गई है।

अच्छा बहुत से हिंदू बोलते है मंदिर मंदिर करने से वोट नही मीलेगा । तो भाई ये बता दे हम क्या यूरोप जैसे किसी शांतिप्रिय माहौल में रहते है ? आतंकवाद से हम कई दशकों से जूझ रहे है तुम उस मुद्दे को कैसे भूल गए ? विधानसभा चुनाव था क्या जो महंगाई रोजगार के नाम पर वोट दे दिए । और यूपी में क्या अब कोई दबंग आदमी नही है जो सपा कोंग्रेस से जुड़ा हो जो खाली महंगाई रोजगार के नाम पर वोट दे दिए

समान नागरिक संहिता का कानून अब नही आने वाला। एनआरसी जैसा कानून भी अब नही आएगा क्योंकि लोगो को तो राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई मतलब ही नही है। कश्मीर की शांति तो अब धीरे धीरे खत्म होगी। सारे भारत और हिन्दुविरोधी लोगो को एक जोश मील चुका है कि अब भारत को झुकाना आसान है क्योंकि सरकार के पास बहुमत नही है।

उत्तर प्रदेश से भी ज्यादा हैरान मुझे पंजाब ने किया । सारे खालिस्तानियों ने चुनाव जीत लीया है और सब अब संसद में आएंगे। अमृतपाल तक चुनाव जीत गया। अब वो एक सांसद है।

लेकिन क्या भाजपा ने कोई गलती नही की ?

मेरा आकलन

मोदी ने जीतने आत्मविश्वास में भरकर कहा था कि शपथ लेते ही बहुत काम आएंगे ऐसा उन्होंने नही कहना चाहिए था। यही तो उन्होंने गलती किया । overconfidence ले डूबा वो भी बुरी तरह।

झारखंड और दिल्ली के मुख्यमंत्री को जबरन जेल नही भेजना चाहिए था क्योंकि इन का विक्टिम कार्ड चुनाव में चल गया है। हां बिल्कुल इन का विक्टिम कार्ड चुनाव में चल गया है।

मोदी ने जो जोखिम लीया अंततः भारी पड़ गया। इतना जोखिम भी नही लेना चाहिए था। सीबीआई ईडी को इस हद तक चोरों के पीछे लगा दिया कि चोर पब्लिक में जाकर बोलने लगा कि देखो क्या तानाशाही कर रहा है और बेवकूफ पब्लिक भी चोर की बातो में आ गई कि हा मोदी सच मे तानाशाह है।

मुझे बचपन में एक अंकल ने कहा था कि बेटा इस देश से कोई मतलब मत रखो। सिर्फ खुद का देखो बस । इस समाज और इस देश का कुछ नही हो सकता है । लोग हर 10 साल में बीती बातों को भूल जाते है। लेकिन मैं एक पूर्व फौजी का बेटा होने के नाते तब भी इस देश के बारे में सोचता था। एक आशा थी मुझ में की ये देश एक दिन आगे बढ़ेगा और एक दिन आयेगा जब ये देश विश्वशक्ति बनेगा। एक दिन आएगा जब हम POK पर कब्जा कर लेंगे। एक दिन आएगा जब हिंदू जात पात को भूलकर एक हो जाएंगे।

लेकिन अब

अब सब उम्मीदें खत्म सी हो गई है।

सायद किसी ने सही कहा है कि इस सिस्टम को बदलने की कोसिस मत करो जो चल रहा है चलने दो । जैसा भी ये सिस्टम है वैसा ही चलने दो।

एक आदमी आया था सिस्टम बदलने तो लोगो को अच्छा नही लगा। गुंडों की पार्टी को जीता दिया।

अब सोच रहा हु क्या जरूरत थी कृषि कानून लाने की ? क्या जरूरत थी दिल्ली में शाहीन बाग का माहौल बनाने की ? क्या हासिल किया ये सब करके अंततः बहुमत तो नही मीला । बहुमत मील जाता तो राजनीति का चाणक्य मानता। वो भी नही मीला।

हरियाणा के लोग वाकई इतने नाराज हुए भाजपा के अग्निवीर योजना से की कोंग्रेस को ही वोट दे दिया । हद है साला।

ध्रुव राठी का तानाशाही वाला प्रोपेगैंडा सच मे काम कर गया। कितने ही लोग ब्रेनवॉश हुए और कोंग्रेस सपा को वोट दे दिया। ये हाल तब है जब फेसबुक ने कहा था कि उस ने हजारों अकॉउंट्स को डिलीट किया था जो चुनाव प्रभावित करने की कोसिस कर रहे है। सोचिए फेसबुक अगर कार्रवाई ना करता तब क्या हाल होता । । तब तो मैं समझता हूं भाजपा को 200 भी ना मीलते।

इतना काम करने के बाद भी बहुमत नही मीला मतलब प्रचार में भी चूक हुई मोदी से। मैं इस सरकार के सेकड़ो काम गिनवा सकता हु इतना कि किसी की आंख खोलने के लीये काफी हो पर अब कोई फायदा नही।

अब ये देश 2029 तक के लिए अस्थिर है

लेकिन क्या सच मे 2029 तक अस्थिरता रहेगी ?

मुझे लगता है 2029 नही अब ये देश हमेसा अस्थिर रहेगा क्योंकि भाई मुस्लिमो की भी तो जनसंख्या बढ़ती जा रही है वो भी तेजी से । 2029 तक यूपी का ही जनसंख्या और बदल चुका होगा। तो अब भाजपा के लीये जीतना और मुश्किल हो जाएगा।

2019 मे मुझे आज भी याद है सीएए कानून के नाम पर दिल्ली से मुंबई तक गुजरात से असम तक मुसलमान सड़को पर नीकल गए थे क्योंकि उन का तो लक्ष्य साफ है लेकिन हिंदुओ का ?

भाजपा आईटी सेल वाले बोलते थे मोदी को जाने दो योगी आएगा तो तांडव मचा देगा । मैं तो अब सोच रहा हु 2027 में योगी आ पायेगा या नही ? अब तो योगी का भी मुश्किल लग रहा है।

इस से अच्छा होता दिसम्बर में तीनों राज्यो में चुनाव हार जाते कम से कम overconfidence तो नही आता। 2018 में यही हुआ था तीनो राज्यो में हारकर सबक सीखे थे फिर 2019 में प्रचंड बहुमत हासिल किया था।

और अब ………

तीनो राज्यो में जीतकर मुख्य चुनाव में हार गए 😞 अति आत्मविश्वास।

ये भी हो सकता है कि बजट में सरकार ने आम आदमी को जो राहत नही दिया था उसी से परेशान होकर आम आदमी ने कोंग्रेस सपा को वोट दे दिया हो। पर फिर वही सवाल क्या कोंग्रेस सपा सब समस्या का हल कर देंगे ? लोग बहुत जल्दी भूल जाते है मानना पड़ेगा।

इस देश के लीये मैं हर तरह की सारी उम्मीद खत्म मानकर चल रहा हु । अब कोई उम्मीद नही कोई आशा नही। वामपंथीयो का हाथ जोड़कर नमन करना होगा उनकी ताकत और एकजुटता के आगे हम भारतीय कुछ भी नही है । अरे इजरायल जैसे देश को उन्होंने पूरी दुनिया मे अलग थलग कर दिया । हम क्या चीज है।

मान भी लीजिये मोदी अगर फिर से प्रधानमंत्री बनकर आ भी जाये तब भी 2029 में भाजपा की हार पक्की है क्योंकि कड़े फैसले नही ले पाएंगे तो जनता में नाराजगी बढ़ेगी।

मैं अब कोरा पर कोई पोस्ट नही करूँगा। 7 बजे करना होगा तो करूँगा वरना अब नही। मेरा सफर यहां समाप्त हुआ। अब कोई राइट विंग टाइप की पोस्ट नही। फालतू में मैं यहां अपना समय बर्बाद क्यों करु मेरी भी अपनी नौकरी है। मैं अब अपनी नौकरी पर और जीवन मे तरक्की हासिल करने पर ही ध्यान दूंगा।

भाड़ में जाये ये देश ये मतलबी समाज और धर्म। भाड़ में जाये राष्ट्रवाद। मेरे अंकल सही थे इस देश का कुछ नही हो सकता। लोग अतीत को बड़ी जल्दी भूल जाते है।

अपडेट एक फैक्ट बताना चाहूंगा

उड़ीसा बंगाल यहां तक कि तेलंगाना और आंध्र प्रदेश से भी भाजपा को सीटें मीली है केरल से भी सीट मीला है । बस उत्तर प्रदेश ने मामला फंसा दिया।

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