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शुक्रवार, 7 जून 2024

खटिया मे सोने का सुख

लंबा चौड़ा दहलान मे खटेहटी (बिना बिस्तर ) के

खटिया मे सोने का सुख और वो भी अगर दो चार

दोस्त या फिर मेमेरे चचेरे फुफेरे भाई बहन मिल जाए

तो क्या कहने बाहर की।

चिलचिलाती तपती धूप मे ये दहलान किसी 5 स्टार

के AC रूम से कम नहीं होता, जिसमे चुहलबाजी के

साथ साथ गप्पों का सुख.... पैसा कम था खुशियाँ

ज्यादा , गाँव में बिजली तो नहीं थी मगर सुकून बड़ा

था , परेशानियां बहुत थीं मगर इंसान आज से ज्यादा

सुखी था ।सच मे कितना इंतजार होता था रिश्तेदारों

के आने का ..

फिर शुरू होती थी मेहमानबाजी ...घर मे कुछ है या

नहीं मेहमान को खबर नहीं लगनी चाहिए ...सच मे

बड़े सुहाने दिन थे कितने बाते होती थी कि दिन और

राते कम पड़ जाती थी.......... जानें कहाँ गए खो वो

दिन 😞😞😞😞 कोई तो वापस ला दो

अब तो न किसी के पास समय न किसी के पास आने

जाने कि फुर्सत ...रिश्तेदारी मे जाने कि जगह लोग

पहाड़ या फिर कही और घूमने जाना ज्यादा पसंद

करने लगे ........

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