४० साल के बाद जिम्मेदारी से भरा हुआ जीवनआरंभ हो जाता है । बच्चो की जिम्मेदारी संबध निभाने की जिम्मेदारी । आगे बढने से पहले एक पढी बात साझा करना चाहता हूं
"आप ४० साल की आयु तक जितनी बचत कर सकते हैं कर लीजिए उसके बाद बचत होना कठिन है "।
यह कथन सही है ।यह धन को लेकर है । बच्चे बड़े व उनका केरियर फिर सेटलमेंट फिर शादी जैसे खर्च एकदम से आते हैं जो पहले की हुई बचत केआघार पर सुगम या कठिन होते हैं ।
अब शारीरिक क्षमता में क्षरण होने लगता है ,अनुभव काम आता है । संबंधो में पारदर्शिता आ जाती है । रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है तो खानपान पर संयम करना आरंभ हो जाता है । परिपक्वता आने से काम करने के तरीके में सुधार आता है पर काम करने की गति हो सकती है कम हो जाय ।शरीर की लोच में कमी, यौन संबंध के प्रति ललक कम,और आत्म सम्मान के प्रति जागरूक हो जाते हैं। अपने कंधों पर इतना बोझ आ जाता है कि दिन रात चिंता बनी रह सकती है ।
जवानी का अंतिम छोर होता है बुढापा सामने खडा नजर आता है पर मन कहता है_
"अभी तो मैं जवान हूं "।😀😀😀
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