ऐसा है साहब मनचाही नौकरी तो फिर भी मिल जाती है किंतु व्यवसाय अथवा दुकान खड़ी करना और फिर उसे चलाना बेहद टेढ़ी खीर है और यह हर कोई नहीं कर सकता ।
इसके लिए पेशंस लेवल बहुत हाई चाहिए और मेहनत बहुत ज्यादा । सौ तरह के लोगों को सम्हालना आना चाहिए और सौ तरह की बातें करते आना चाहिए तब आपके सफल होने की संभावना बनती है ।
आजकल ऑनलाइन मार्केट के चलते रिटेल में काफी फर्क पड़ा है पुराने वक्त में मार्जिन हाई रहता था आजकल बहुत थोड़ा मार्जिन निकलता है ।
आप दुकान तो खोल लोगे किंतु समान खरीदेगा कौन ? चाहे किराने की दुकान खोलिए या स्टेशनरी की ही या फिर सोने गहने की ही अगर छोटे दुकानदार हैं या बड़े भी तो भी उधारी चलती रहेगी ।
हम नौकरी पेशा लोगों की एक तारीख को सैलेरी छुट्टी होने पर देर से आए तो बेचैन हो जाते हैं , जाने व्यापारियों दुकानदारों को रात को नींद कैसे आती होगी ? सोचिए हजारों लाखों की उधारी देनदारी होती है ।
कोई भी व्यवसाय करने के लिए बर्फ की सिल्ली सर पर रखनी होती है ।
नौकरी में तो फिर भी बॉस से झगड़ लो और टाटा बाय बाय कर लो ।
खुद के व्यवसाय में किस किस से झगड़ा करोगे ?
आखरी बात जिससे आठ नौ घंटे की नौकरी नहीं हो रही उससे बारह घंटे दुकान में बैठा जाएगा या व्यवसाय होगा ऐसी उम्मीद लगाना उचित नहीं है ।
हां कुछ लोग नौकरी की अपेक्षा व्यवसाय में सफल होते हैं किंतु यह वह लोग हैं जिन्हें मालूम है कि अब व्यवसाय में सफल होने के अलावा कोई ऑप्शन नहीं है , इनमें लगन होती है और यह मेहनत भी करते हैं ।
क्योंकि बिल्ली के भाग से छींका फूटा नहीं करता , बगैर मेहनत किए न खेत में फसल होती है और न व्यवसाय में आय ही ।
सभी व्यापारी मित्रों को समर्पित ।
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