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शुक्रवार, 29 सितंबर 2023

जितनी सुविधा JNU के छात्रों को मिलती है अगर उस सुविधा का 5% भी गांव के सरकारी स्कूलों में दे दी जाए तो सरकारी स्कूल के बच्चों का भविष्य कैसा होगा?

अध्ययन, अनुसंधान और अपने संगठित जीवन के उदाहरण और प्रभाव द्वारा ज्ञान का प्रसार तथा अभिवृद्धि करना। उन सिद्धान्तों के विकास के लिए प्रयास करना, जिनके लिए जवाहर लाल नेहरू ने जीवन-पर्यंत काम किया। जैसे - राष्‍ट्रीय एकता, सामाजिक न्याय, धर्म निरपेक्षता, जीवन की लोकतांत्रिक पद्धति, अन्तरराष्‍ट्रीय समझ और सामाजिक समस्याओं के प्रति वैज्ञानिक दॄष्‍टिकोण।

जे एन यू , नई दिल्ली के दक्षिणी भाग में स्थित केंद्रीय विश्वविद्यालय है। यह मानविक , समाजिक विज्ञान , विज्ञान अंतरराष्ट्रीय अध्ययन आदि विषयों में उच्च स्तर की शिक्षा और शोध कार्य में संलग्न भारत के अग्रणी संस्थानों में से है। जेएनयू को राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (NACC) ने जुलाई 2012 में किये गए सर्वे में भारी का सबसे अच्छा गुणवत्ता वाली विश्वविद्यालय माना है। NACC ने विश्वविद्यालय को 4 में से 3.9 ग्रेड दिया है, जो कि देश में किसी भी शैक्षणिक संस्थान को प्रदत उच्चतम ग्रेड है।

इनको स्थापना भी इसिलए किया गया था कि जो गरीब वर्ग के बच्चें हैं वह फीस, आवास,भोजन, आर्थिक, कपड़े की वजह से पढाई न छोड़े।

अब आपके सवाल पर आता हूं। गांव के सरकारी स्कूलों के लिए अपने हमने कितनी आंदोलन की हैं?

गांव के स्कूल के लिय हमने कितनी धरणा दिया?

उसके लिए सरकार को सोचने और करने पर मजबूर करना होगा।

ये देश आजाद आंदोलन, धरने के वजह से हुई।

देखिये अच्छा शिक्षक, कॉपी ,पेन सब मुफ्त हैं।

खराब है सिस्टम और जनता।

कमीशन के चक्कर मे घटिया स्कूल भवन निर्माण, घटिया सामग्री, घटिया खाना।

जनता भी तमाशबीन बनी रहती हैं जब तक बड़ा हादसा न हो।

सरकार जितना सरकारी स्कूलों का बजट रखी हैं उतने का सदुपयोग हो जाये तो भी सरकारी स्कूलों की शिक्षा सुधर जाएगी।

जरूरत ही हैं तो सरकार को बेहतर करने आंदोलन करने का। 5% मील चाहे 100% भर्स्ट सिस्टम को ठीक करना, जिम्मेदार बनना पहले जरूरी हैं।

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