स्वच्छ भारत पर सम्पत सरल का एक व्यंग है ,
एक गांधीनुमा चश्मे की एक साइड पर स्वच्छ तो दूसरे पर भारत लिखा हुआ है ,
जिस तरफ स्वच्छ लिखा है वहां भारत नहीं है और जिस कांच पर भारत लिखा है उस पर स्वच्छ नहीं है।
वैसे, स्वच्छता है बड़ी कमाल की चीज़ , किसी वस्तु पर आ जाये तो वह वस्तु सुंदर लगने लगती है और अगर सुंदरी पर आ जाये तो सुंदरी गुलाब का फूल नज़र आने लगती है। इसीलिए तो स्वच्छता में लक्ष्मी का निवास माना गया है, अब यह अलग बात है कि झाड़ू को लक्ष्मी मानकर उसे मंदिर में जगह दे देते है और कचरा पुनः सड़क पर आ जाता है।
सफाई के मामले में शहर वाले थोड़े नखरे करते है , सफाई का दिखावा करते है, मगर गाँवों में ऐसी कोई समस्या नहीं है। हमारे यहाँ गाँवों में तो वैसे भी सदियों पुरानी परंपरा है , सुबह सुबह खेत पर जाने की। अब शहर में रहने वाले अमिताभ और विद्याबालन क्या जाने बाहर जाने के फायदे और कम्फर्ट। ताज़ी हवा के झोंको के बीच खेत में जाने का अपना ही एक अलग कंफर्ट है…. एक लग्ज़री है जो सिर्फ गावों में रहने वाले लोगों के नसीब में होती है। शहर वालो के नसीब में तो सिर्फ रेल की पटरी ही होती है।
जैसे शादी में दुल्हन की मेंहदी भरे हाथ दिखाने के होते हैं ठीक वैसे ही हमारा स्वच्छता से प्रेम सिर्फ फोटो खिचवाने तक ही सिमित रहता है, । कचरा उठाते हुए, उसे कचरापेटी में डालते हुए, सूरज की तरफ देखते हुए, पसीना पोंछते हुए, ठिलिया वालों से हाथ मिलाते हुए, उन्हें ज्ञान बांटते हुए, इधर फोटो सेशन ख़तम और उधर हमारा स्वच्छता से मोह भी ख़तम। मैं क्यों 'स्वच्छ भारत अभियान' के खिलाफ हूं (व्यंग्य)
मगर पिछले कुछ वर्षो से हमें मजबूर किया जा रहा है कि हम अपनी पुरानी आदतों को बिसरा कर , सरकारी मानक की सफाई अपना ले।
खासकर जब से मोदी जी ने स्वच्छता अभियान का धोबीपाट दाँव मारा है , हम सब चारो खाने चित्त है। हमे ऐसा लगता है मानो हमारी सदियों पुरानी स्वतंत्रता छीन गई है। मगर हमने भी प्रण कर लिया है कि हम नहीं सुधरेंगे , भले मोदी नाक रगड़े , मिन्नतें करे, लाख आदेश निकाले। सड़क पर गन्दगी फ़ैलाने से रोकोगे तो सोशल मीडिया पर फैलाएंगे, समाज में फैलाएंगे ।
मगर भाई क्या कर सकते है , सरकारी फरमान है ,मानना तो पड़ेगा। इसीलिए अब स्वतंत्रता दिवस की तरह स्वच्छता अभियान भी साल में एक दिन देश के प्रति दिखाए जाने वाला कर्तव्य सा हो गया है , गली-मोहल्ले की सफाई के फोटो खिचवाने के बाद , हम सब अपनी गन्दगी सोशल मीडिया पर फ़ैलाने में लग जाते है।
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