परन्तु ग्रामीण क्षेत्र के लोग, इसके विपरीत एक दूसरे के सहयोग पर निर्भर होते हैं।
ध्यान रहे , हम यहाँ सरकार द्वारा प्रदत्त सामाजिक सुरक्षा की चर्चा नहीं कर रहे हैं।
गाँवों में जिस काम को करने के लिए पांच-दस आदमियों की जरूरत होती है, वहाँ पचास-साठ पहुंच जाते हैं और शहरों में दाह संस्कार जैसे कार्यक्रमों में भी लोगों को बुलाना पड़ता है।
उदाहरण के लिए- निराई-गुड़ाई का समय है और किसी किसान के घर में असामयिक मौत हो जाती है तो खेत में काम करने की जिम्मेदारी ग्रामीण लोग अपने आप संभाल कर , शोकाकुल परिवार को सम्बल प्रदान करते हैं।
आपके प्रश्न का दूसरा भाग पलायन से सम्बंधित है।
भारत गाँवों का देश है। इसकी आत्मा भी गांवों में ही बसती है।
परन्तु गाँवों में रोजगार और आधुनिक सुख-सुविधाओं की कमी के कारण ग्रामीण लोग शहरों की ओर पलायन करने के लिए बाध्य होते हैं।
कोरोना महामारी के कारण, वो ही लोग आज वापिस अपनी मिट्टी की ओर लौट रहे हैं क्योंकि मुश्किल समय में सबसे पहले अपने ही याद आते हैं।
दूसरा कारण, गाँवों में आबादी , शहरों बजाय कम होती है जिससे सोशल डिस्टैंसिंग बना कर रखने में भी सहूलियत होती है।
यहाँ, नीचे मेरे गाँव की तस्वीर है। जिसमें आप स्पष्ट रूप से देख सकते हैं कि आबादी के अनुपात में क्षेत्रफल ज्यादा है।
सभी तस्वीरों का स्त्रोत — गूगल
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