साल 1938 की तेल की खोज ने सऊदी अरब की किस्मत पलट दी उसी तेल की वजह से अमेरिका का साथ उसी तेल की वजह से अमीरी। पैसा इतना कि मुकेश अंबानी के पास जितनी दौलत है वहाँ की एक तेल कंपनी saudi aramko एक साल में उससे दो गुना प्रॉफिट दे देती है।
लेकिन लेकिन फिर वो पुरानी हिंदी फिल्मों का सीन याद आता है जिसमे सेठ के घर डाकू आते हैं और वो थर थर काँपने लगता है। सेठ के पास पैसा बहुत है और डाकुओं के पास हथियारों से लड़ने का एक लंबा अनुभव।
हथियार तो सऊदी अरब के पास बहुत है, अमेरिका के दिये हुए और अमेरिका उसे ट्रेनिंग भी देता है। लेकिन लड़ने का असली अनुभव तो तभी होता है जब कोई देश लंबे समय तक या तो खुद लड़ाई करता रहा हो या उसे दूसरों की लड़ाई में अपने लठैत भेजने की आदत हो, अमेरिका की तरह।घर पे बाज और चीते पालने से ये नहीं होता है।
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फिर सऊदी अरब की राजशाही को मजबूत सेना से भी डर लगता है कि कहीं coup ना कर दे।क्योंकि अब लोग ये तो मानते नहीं की राजाओं के दैवीय अधिकार होते है। मौका मिलते ही कांड हो जाएगा।
अब कहने को तो सऊदी रॉयल एयर फोर्स के पास यूरोटाइफून
जैसे अत्याधुनिक फाइटर-प्लेन भी है। बोइंग F-15 ईगल्स भी है। दुनिया भर में हवाई लड़ाई के दौरान एफ-15 के नाम 104 अन्य लड़ाकू विमानों को मार गिराने का रिकॉर्ड है लेकिन इस दौरान यह विमान खुद एक बार फिर भी नहीं मारा गया। लेकिन उसका करें क्या? आपके घर मे 5000 किताबें हैं , पढ़ेगा कौन? लेकिन जब आपसे कोई सवाल पूछता है आप किताबों के पन्ने पलटने लगते हैं।अमेरिका भी नहीं चाहता कि सऊदी अरब सैन्य रूप से मजबूत हो। अगर हो गया तो अमेरिका को भाव कौन देगा।
इसके अलावा बुनियादी खामियाँ भी हैंं। आपने कभी सुना है कि सऊदी अरब का कभी नाम आया हो साइंस एवं टेक्नोलॉजी के बारे में? एक मजबूत देश की पहचान होती है उसकी विज्ञान और तकनीकी में पकड़। इस मामले में सऊदी अरब अभी बहुत पीछे है।
अब करते है इज़राइल की बात। उसके पास खुद की हथियारों की इंडस्ट्री है। उसे इसके लिए दूसरों पर ज्यादा निर्भर नहीं करना पड़ता। सभी नागरिकों के लिए मिलिट्री ट्रेनिंग अनिवार्य है। सबको दो से तीन साल की मिलिट्री ट्रेनिंग दी जाती है। उनके पास खुद का एन्टी बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम, दुनिया के चौथी सबसे बड़ी वायु सेना और आधुनिक हथियारों का बड़ा जखीरा है।
साथ ही साथ उनके पास दुनिया की सबसे बेहतरीन गुप्तचर विभाग है, जिन्होनें काफी सारे विश्व प्रसिद्ध मिशनों को दूसरे देशों में घुस कर काफी सफ़ाई के साथ अंजाम दिया है।
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सबसे बड़ी बात उसको युद्ध का बहुत लंबा अनुभव है।इज़राइल देश की पैदा होने से लेकर(इज़रायल साल 1948 को वजूद में आया) अबतक वह conflict situation में ही रहा है इसके चारो तरफ दुश्मन ही दुश्मन है।अरब देशों की दुश्मनी ने उसको मजबूत बनाया है। साल 1967 में अरब इज़राइल युद्ध जो केवल 6 दिन चला ने इतिहास बदल के रख दिया।
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इस युद्ध मे इज़रायल मिश्र को गाजा पट्टी से पीछे धकेल देता है।गोलन पहाड़ियों से सीरिया को और जॉर्डन को वेस्टर्न बैंक से पीछे धकेल देता है। अभी भी वह फलस्तीनियों के साथ संघर्ष की स्थिति में है।तो संघर्ष का ये अनुभव उसे एक edge देता है।
फुटनोट
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