पिछले कुछ सालों से हम देख रहे हैं कि बेरोजगारी एक बहुत बड़ा मुद्दा बन चुका है। 2014 के बाद से बेरोजगारी दर में काफी बढ़ोतरी हुई है। देश के युवा पढ़ते तो है पर आखिरी में खाली हाथ रह जाते हैं।अगर ये सरकार की लाचारी और विफलता नहीं तो ओर क्या है। आखिर क्यू देश के युवा लाचार हो गए है। हर साल ना जाने कितने नौजवान फांसी लगा कर अपना जीवन बर्बाद कर लेते है। इस देश का सिस्टम और सरकार इतना भ्रष्ट हो चुका है कि आज देश बेरोजगारों से भरा पड़ा है।
जिस युवाओं कि तारीफ मोदी जी खुद देश विदेश में खुले मंच पर करते है क्या अब युवाओं में वह कला और ज्ञान नहीं है जो कि उन्हें एक अच्छी नौकरी दिला सके।
यह एक असमंजस में डालने वाला मुद्दा है। हर साल लगभग देश में 10000000 युवा अपनी पढ़ाई पूरी करके जॉब की तलाश करते हैं, परंतु देश का राजतंत्र इतना कमजोर और बिकाऊ हो गया है कि ये नौजवान दर दर की ठोकरें खाते रहते है और जॉब नहीं पाते है।
ना केवल भारत सरकार परंतु देश के सभी राज्य सरकारों का भी यही हाल है। आज बिना घुस के एक काम नहीं होता। हर साल नौकरियां काम होती जा रही है तो आखिर इसका कारण क्या है।
जब जब इलेक्शन आता है तो रोजगार और युवाओं को मुद्दा बनाकर उनसे बड़े बड़े वादे कर के इलेक्शन जीत जी जाती है। और जीतने के बाद वो भूल जाते है कि देश में युवा और आम आदमी भी रहते है। अपनी जेबें भरने में येलोग इतने व्यस्त हो जाते है कि इन्हें देश की जनता की आवाज सुनाई है नहीं देती। उनका घोषणापत्र सिर्फ एक दिखावे कि वस्तु बन कर रह जाती है। ना तो युवा को रोजगार के अवसर मिलते हैं ना ही युवाओं को बेहतर शिक्षा मिलती है।
आइए हम यह सब समझते हैं कुछ आंकड़ों के द्वारा और हम जानेंगे कि बेरोजगारी बढ़ने का कारण क्या है।
नौकरियों की भर्ती कब निकलेगी किसी को कुछ अता पता नहीं होता है। हर साल ना जाने कितनी नौकरियों कि भर्ती प्रक्रिया आगे बढ़ती रहती है और नौजवान सरकार से बस आस लगाए रहती है कि अब कुछ होगा लेकिन होता कुछ नहीं। कोई भी सरकारी प्रक्रिया अब पांच साल से पहले पूरी ही नहीं होती। ना जाने सरकार क्यू आंख मूंदे बैठी रहती है और सरकार को इन नौजवानों की परेशानियों दिखाई नहीं देती।
परीक्षा की तारीख तय नहीं होती। अगर गलती से फॉर्म निकाल जाए तो एग्जाम कब होगा कुछ मालूम नहीं होता। बच्चे फॉर्म भर के सालों साल बाद इंतज़ार करते रहते है की अब आएगा तारीख आज होगी परीक्षा लेकिन सरकार के तरफ से इस बात की कोई खोज खबर नहीं होती है। मोदी जी सिर्फ अपनी सरकार बनाने में बिजी है। उन्हें युवाओं से कुछ लेना देना नहीं है। भर्ती का विज्ञापन निकला तो परीक्षा भी होगी इसकी कोई गारंटी नहीं होती है।
परीक्षा अगर हो गई तो उसका परिणाम आने में तीन चार साल का वक़्त लग जाता है। कोई इन सब का में बाप नहीं है। भर्ती परीक्षा के नतीजे कब आएंगे किसी को पता नहीं होता यह तक की परीक्षा करने वाली संस्था को भी नहीं पता होता है। ये है डिजिटल इंडिया। अगर ऐसा होता है डिजिटल इंडिया तो शर्म आती है ऐसी हालत पर। इंतज़ार करते करते सारी उम्र निकलती जाती है।
परिणाम अगर आ गए तो तो फिर नियुक्ति मिलने में सालों का समय लग जाता है और नियुक्ति मिलेगी भी कि नहीं इसकी कोई गारंटी नहीं होती है।
बच्चे अपनी सारी उम्र पढ़ने में बिता देते हैं और अगर एक नौकरी तक नहीं मिलती जो समाज यही कहता है कि बच्चों में काबिलियत नहीं है । हमारी काबिलियत पर सवाल खड़े हो जाते हैं मगर कोई भी सरकार की बात नहीं करता। इंतजार करते-करते परीक्षा वाली उम्र निकल जाती है लेकिन नियुक्ति नहीं मिलते।
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