यदि आप अपवोट के लिए लिखना चाहते हैं तो ये उत्तर आपके लिए है।
लेकिन एक सच ये भी है कि हमें ना कड़वी दवाएं भाती हैं ना ही कड़वे सच। फिर भी यदि स्वास्थ्य चाहिए तो कड़वी दवा भी लेनी पड़ती है, इसलिए वास्तविकता से रूबरू होना होता है तो कड़वा सच भी सुनना पड़ेगा।
इस प्लेटफॉर्म का कड़वा सच है कि "आपको अपवोट नहीं मिलेंगे यदि आप अच्छा नहीं लिखेंगे"
क्या कोई उपाय है जिससे आपको सफलता मिलने लगे ?
उपाय है !
"आपको परिश्रम करना होगा, थोड़ा अध्ययन और शोध भी करना पड़ेगा। साथ ही यदि भाषा और भाषा विन्यास को समृद्ध कर सके तो सोने पे सुहागा।" इतना कर लिया तो आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता।
शायद अब तक आपको अपने प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा।
लेकिन ज़रा रुकिए !!!
सिक्के का दूसरा पहलू भी है जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता। और इस उत्तर का तो सारा दारोमदार इसी पहलू पर है।
केवल एक अच्छा उत्तर ही पर्याप्त नहीं है।
अरे अभी तो मैंने ही बताया ना कि अच्छा लिखा तो अपवोट मिलेंगे !! और अब मैं ही लिख रहा हूं कि केवल एक अच्छा उत्तर ही पर्याप्त नहीं है।
ये विरोधाभास क्यों ?
एक उदाहरण से समझते हैं,
पाठकों में ऐसे कितने लोग हैं जो ग्रेटा थनबर्ग को नहीं जानते ?शायद गिनती के लोग ही होंगे जो स्वीडन की इस कथित पर्यावरण एक्टिविस्ट को नहीं जानते होंगे। हम में से लगभग सभी इनको इनकी "हाउ डेयर यू" वाली क्रांतिकारी स्पीच से जानते हैं। ग्रेटा ने 2019 में एक मंच से महाशक्तियों को पर्यावरण बचाने की चुनौती देते हुए पूछा था कि हमारी धरती को आर्थिक विकास के नाम पर बर्बाद करने की आपकी हिम्मत कैसे हुई ? अपने भाषण के दौरान वो रोने लगी और उसकी कृद्घ भाव भंगिमा युक्त तस्वीर सारी दुनिया में रातों-रात प्रसिद्ध हो गई।
[1]
हाल फिलहाल वो फिर से चर्चा में आई थी लेकिन एक और विवादित कारण से। ग्रेटा का पर्यावरण को बचाने में जमीनी योगदान कितना है मुझे नहीं पता, उसने कितने पेड़ लगाए हैं यह भी मैं नहीं जानता। मैं जानता हूं तो केवल उन बेहतरीन पटकथाओं को जिन पर वह पर्यावरण की इकलौती रक्षक होने का अभिनय करती है।
दूसरी तरफ हमारे अपने देश के दरिपल्ली रमैया[2] हैं जिन्होंने एक करोड़ से भी ज्यादा पेड़ लगाए हैं।
दरियापल्ली रमैया तेलंगाना राज्य के खम्मम जिले के एक छोटे गांव के निवासी हैं। वे विश्वास रखते हैं कि धरती के सभी जीवों में मनुष्य सर्वश्रेष्ठ है। वह सर्वश्रेष्ठ है क्योंकि वह विचार कर सकता है और चिंतन भी। वे कार्य के सही और गलत होने में भेद कर सकते हैं। वे कहते हैं कि प्रकृति ने मनुष्य को पेड़ पौधों के रूप में बहुमूल्य उपहार दिया है इसलिए हम सभी का यह कर्तव्य होना चाहिए कि हम प्रकृति के इन उपहारों को संजो कर रखें। उनका यह प्रयास सराहनीय है और इसी प्रयास के लिए उन्हें भारत का तीसरा बड़ा सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया गया है।
रमैया की बातों में पर्यावरण के लिए वास्तविक चिंता झलकती है और उनकी कथनी और करनी भी एक है।
फिर भी उनके अपने देश के लोग उन्हें नहीं जानते क्योंकि न तो वे विवादित बातें करते हैं और ना ही उनमें रातों रात लोकप्रिय होने की अभिलाषा है। वे अपने कर्म पर विश्वास करते हैं और उसके प्रति पूरी तरह समर्पित भी हैं।
इस प्रसंग को उत्तर में स्थान देने का कारण सिर्फ इतना समझना है कि यदि आप अच्छा लिखेंगे और निरंतर अच्छा लिखेंगे तो देर सवेर पाठक आपको स्वीकार करने लगेंगे। इस मार्ग पर समय लगेगा और धैर्य भी रखना पड़ेगा। फिर भी यदि आपको अपवोट नहीं मिलें न सही पर एक कीमती चीज़ अनिवार्यतः मिलेगी जो आपसे कोई नहीं छीन पाएगा वो है आत्मसंतुष्टि।
इसके बावजूद भी यदि आप जल्दी से जल्दी प्रसिद्ध होना चाहते हैं तो ग्रेटा की तरह बन जाइए, विवादों में पड़िए और थोड़े अहंकारी भी हो जाइए। उत्तर लिखने के लिए लोकलुभावन और विवादित विषय चुनिए और व्यूज़ प्राप्त कीजिए।
वैसे सच कहूं तो रमैया जी की तरह ही बनिएगा ग्रेटा की तरह नहीं। क्यूंकि ग्रेटा जैसे लोग प्रसिद्ध तो हो जाते हैं लेकिन क्या पता रात को चैन से सो भी पाते हैं या नहीं।
फुटनोट
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