सबसे पहले जवाब दिया गया: क्या आप बता सकते हैं कि एक तरबूज के कारण दो रियासतों युद्ध कब हुआ और क्यों?
" मतीरे की राड़ " अर्थात तरबूजे के लिए झगड़ा
वैसे तो दो रियासतों के बीच युद्ध बड़ी बड़ी वजहों से होती हैं लेकिन एक युद्ध की वजह नाचीज़ तरबूजा बना और इस नामुराद तरबूजे की वजह से हजारों लोगों की जान भी चली गई।
युद्ध का वर्णन-
1644 ई में राजस्थान में दो रियासतों के बीच तरबूजे को लेकर भयंकर युद्ध हुआ था। दरअसल मुगल साम्राज्य के अधीन बीकानेर और नागौर की रियासतें थीं। बीकानेर रियासत का सीलवां गांव और नागौर का जाखणियां गांव एक दूसरे से सटे हुए थे। उस समय बीकानेर के शासक थे करण सिंह और नागौर के शासक अमर सिंह थे। करण सिंह किसी अभियान के तहत रियासत से बाहर थे और अमर सिंह मुगल दरबार दिल्ली में थे।
बीकानेर रियासत के सीलवा गांव में एक किसान ने तरबूज की खेती के लिए बीजारोपण किया। उसके तरबूज की एक बेल बीकानेर रियासत की सीमा पार करके नागौर रियासत के जाखानिया गांव में पहुंच गई।
जब तरबूज की बेल पर फल लगा तब दोनों किसानों में विवाद होने लगा। 2 किसानों के बीच यह विवाद देखते ही देखते 2 गांव के बीच का विवाद बन गया। दोनों राजाओं ने दूतों के माध्यम से समस्या का समाधान खोजने की कोशिश की परंतु मामला हल होने के बजाय प्रतिष्ठा का प्रश्न बनता चला गया।
प्रतिष्ठा के लिए हुआ युद्ध-
एक दिन ऐसा आया जब दोनों देशों की सेनाएं एक दूसरे के सामने खड़ी थी। दोनों देशों के बीच युद्ध हुआ और दोनों तरफ से सैकड़ों सैनिक मारे गए। इस युद्ध में बीकानेर की जीत हुई। विजय प्राप्ति के बाद बीकानेर की सेना द्वारा तरबूज यानी मतीरे को हासिल किया गया और विजय के जश्न में वही तरबूज खाया गया।
मुगल बादशाह हुआ नाराज-
मुगल साम्राज्य के अधीन दो रियासतों के बीच झगड़े को सुलझाने का काम दिल्ली दरबार का था लेकिन यह झगड़ा शाहजहां तक पहुंचने से पहले ही हो गया था। इस बात पर शाहजहां काफी नाराज़ हुआ था। दरबार में दोनों रियासतों के राजाओं को बुलाकर फटकार लगाई गई थी।
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