Powered By Blogger

शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2021

मोदीजी द्वारा उल्लेखित शब्द आंदोलनजीवी से क्या तात्पर्य है?

 

नमस्कार ।

चित्र आभार : Google

कहते है ना, व्यक्ति के मुख से निकले शब्द उसके संस्कार,आचार - विचार के साथ साथ उसके परिपक्व अनुभव को भी दर्शाता है ।

व्यंग कसते हुए, प्रधानमंत्री जी ने अपने आलोचकों को बड़े शालीनता से राज्यसभा में देशहित में संदेश और सलाह दोनों प्रदान की ।

जैसा कि हम सभी देख पा रहे है कि वर्तमान की परिपेक्ष में राजनैतिक बिसात में मोदी जी की पार्टी को लोकतान्त्रिक चुनाव प्रक्रिया में सीधे सीधे टक्कर देने में अधिकांश पार्टियों को नाक से चने चबाने कि नौबत आ गई है । इसलिए विरोधी पार्टियां अपने अपने तरीक़े से मोदी जी की सरकार को अस्थिर और बदनाम करने के लिए विभिन्न तरह के हथकंडे अपनाते हुए नजर आते है और इसमें वे मोदी विरोध करते करते देश विरोध में उत्तर जाते है जो हमने इन दिनों काफी देखा है ।

माननीय मोदी जी ने वर्तमान में चल रहे किसान आंदोलन में, भोले भाले किसान भाइयों की कंधे पर बंदूक रखकर राजनीतिक गोलियां चला रहे,अपने एजेंडे को मजबूती देते हुए उन तथाकथित व्यक्ति विशेष और गुटों को कटाक्ष करते हुए आंदोलन जीवी और परजीवी शब्दों को उपयोग राज्यसभा में किया था ।

अपने अस्तित्व और शाख को बचाने के एवज में या फिर आप यूं कह सकते है कि अपने आप को जीवित (अपनी पार्टी,दल, संगठन) या जिंदा रखने के लिए अब इन्होने आंदोलन का सहारा लेना प्रारंभ किया है और यह आंदोलन इनका खुद का नहीं वरन देश में चलने वाले किसी भी आंदोलन में आंदोलनकर्ता के अंदर भ्रम का बीजारोपण कर आंदोलन को हाईजैक कर लेते है और अपनी दुकान चलाने लगते है । इसका जीवंत उदाहरण छात्रों का आंदोलन JNU और AMU, साहिन बाग़ और वर्तमान में किसान आंदोलन ।

आप ने अमर बेल की लता के बारे में अवश्य पढ़ा और देखा होगा जो पीले रंग की लत्तर वाली परजीवी,जिसका वनस्पति विज्ञान में खास तरह से जिक्र आता है जो अन्य पौधों और वृक्षों में अपनी वर्चस्व आहिस्ते आहिस्ते बढ़ाते हुए उस पौधे के रश का पान करते हुए अपने आप को विकसित करता है और उस पौधे के जीवन को समापन की ओर धकेल देता है ।

आप इस उदाहरण से समझ ही सकते है कि हमारे प्रधान सेवक अपने धुरविरोधी पक्षों को आखिर क्या कहना चाह रहे थे ।

धन्यवाद् ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें