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प्राप्त सूचना के अनुसार यह भारत सरकार की एक बहुत ही बड़ी व दूरदर्शितापूर्ण योजना है जिसके अन्तर्गत पोरबन्दर, गुजरात से लेकर, पानीपत, हरियाणा तक एक महान हरित दीवार बनाई जाएगी। अभी तो इस हरित दीवार के भव्यता की कल्पना भर ही की जा सकती है। बताया ये जा रहा है कि चौदह सौ किलोमीटर और पाँच किलोमीटर चौड़ी ये दीवार पर्यावरण संरक्षण में अपना अमूल्य योगदान देगी।
भारत के गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली राज्य इस हरित दीवार के प्रत्यक्ष हितग्राही होंगे जबकि इसका दूरगामी लाभ पूरे भारत को दीर्घावधि में प्राप्त होने की संभावना है। इस योजना का मौलिक उद्देश्य थार मरुस्थल के प्रसार को रोकना है। गर्मियों में पूर्वी भारत के एक बड़े भाग में धूल भरी आँधी चलती है जो मानव स्वास्थ्य के साथ ही पारिस्थितिकी के लिए भी नाना प्रकार की समस्याओं को जन्म देती है। इस हरित दीवार से इस समस्या का भी ठोस समाधान होगा, ऐसी अपेक्षा की जा रही है[1]
इसके साथ ही सरकार ये संदेश भी देना चाहती है कि हम जलवायु परिवर्तन से हो रहे परिवर्तन से ना केवल चिंतित हैं अपितु इसके लिए आवश्यक कदम भी उठा रहे हैं। भारत सभी वैश्विक समझौते का सम्मान करनेवाला एक अत्यंत ही जिम्मेदार राष्ट्र है, अतः पर्यावरण संरक्षण के लिए किये गए समझौतों के पालन के लिए भी ऐसे कदम उठाए जाने आवश्यक हैं। आनेवाली पीढ़ियों को भी ये संदेश दिया जा रहा है कि हमने सब कुछ नष्ट ही नहीं किया, बहुत कुछ बनाया भी है।
यहाँ इस बात का उल्लेख करना आवश्यक है कि ऐसे ही एक दीवार की योजना एक दशक पूर्व अफ्रीका में बनाई गई थी जिसका क्रियान्वयन अब तक नहीं किया जा सका है। उस योजना में दर्जनों देश थे और फाइलों की गति हर जगह एक सी ही होती है विशेषकर तब जब फाइलों को आगे बढ़ाने में नीतिनिर्माताओं के हाथ कुछ विशेष नहीं आता। इस दीवार के निर्माण में वैसी कोई समस्या आने की संभावना नहीं है और इसके सफल क्रियान्वयन के उपरांत भारत की छवि करके दिखानेवाले राष्ट्र की बनेगी।
फुटनोट
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