परिपक्व प्रेम वो होता है जो बिन कारण होता है नही समझे
प्यार नही , इश्क़ नही , मोहब्बत नही
जहाँ देहात्मक बोध नही रहता
देह से नही रूह से सम्बन्ध स्थापित रहता हैं, मैं ये इसलिए कह रही हूं क्योंकि मैंने यह महसूस किया है, मैं मेरे पौधों से प्यार करती हूं जो बिना कारण करती हूं कोई उन्हें नुकसान पहुंचाता है तो मैं गुस्से से भर जाती हूं, मैं मेरी गाय से प्यार करती हूं…मेरी किताबों से प्यार करती हूं
जब तक आपको खुद इस प्रेम का अनुभव नही होगा तब तक आप परिपक्व प्रेम की परिभाषा को नहीं समझ पाएंगे..
तब आप उसमे मैं जीना चाहेंगे
प्रत्येक क्षण, प्रत्येक पल आपको ये अनुभव होगा।
ये प्रेम जरूरी नही की लड़की से हो या किसी लड़के से हो
ना बिल्कुल नही
इसको जानने के लिए पहले खुद को देहात्मक बोध , भाव से अलग करना होगा
अर्थात पहले खुद को देखना होगा उस प्रेम के पात्र बनना होगा तभी आप परिपक्व प्रेम के लायक होंगे…
तो पात्रता जरूरी है उस प्रेम को करने के लिए और ये पात्रता बिन नही हो सकता ।
मैं आपको एक चित्र दिखाती हूं जिसे देखकर आप समझ जाएंगे
चित्र स्रोत- फोन गैलरी
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