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गुरुवार, 27 अगस्त 2020

जन्मदिवस विशेष:ज़रा हट के है गुलज़ार जी की शायरी

 ग़ुलज़ार नाम से जिन्हें हम सभी जानते हैं उनका वास्तविक नाम सम्पूर्ण सिंह कालरा है।गुलज़ार जी हिन्दी फिल्म जगत के एक जानेमाने गीतकार, पटकथा लेखक, फ़िल्म निर्देशक नाटककार तथा प्रसिद्ध शायर हैं। उनकी कविताएं और शायरियां आम आदमी के दिलों के बहुत करीब है। उनके कथन निराशा में आशा का संचार करते हैं

(चित्र स्रोत:amarujala.com)

गुलज़ार जी को वर्ष २००२ में सहित्य अकादमी पुरस्कार और वर्ष २००४ में पद्म भूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है। वर्ष २००९ में डैनी बॉयल निर्देशित फ़िल्म स्लम्डाग मिलियनेयर में उनके द्वारा लिखे 'गीत जय हो' के लिये उन्हें सर्वश्रेष्ठ गीत का ऑस्कर पुरस्कार मिल चुका है। वैसे तो गुलज़ार जी शांत स्वभाव के हैं पर जब कभी देश में गलत होता है तो उसके विरुद्ध आवाज उठाने से नहीं चूकते हैं।

गुलजार जी के लिखे हिन्दी सिनेमा के 5 मधुर गीत:

'ए ज़िंदगी गले लगा ले'

'आने वाला पल जाने वाला है'

'मुसाफिर हूं यारों'

'मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास पड़ा है'

'चप्पा चप्पा चरखा चले'

कभी मकैनिक थे गुलजार साहब:

शुरुआती दिनों में महानगरी में रहना गुलजार के लिए बेहद कठिन था। मुंबई जैसे शहर में अपना गुजारा करने के लिए गुलजार साहब ने वर्ली में एक गैराज में कार मेकैनिक का काम करना शुरु कर दिया और खाली समय का इस्तेमाल करते हुए कविताएं लिखनी शुरू कर दी। कुछ वक्त बाद उन्होंने गैरेज का काम छोड़ हिंदी सिनेमा के मशहूर निर्देशक बिमल राय, हृषिकेश मुख़र्जी और हेमंत कुमार के सहायक के रूप में काम करना शुरू कर दिया। जिसके बाद आधिकारिक तौर पर बिमल राय की फिल्म 'बंदनी' के लिए गुलज़ार ने अपना पहला गीत लिखा।

(चित्र स्रोत:merisaheli.com)

आज 18 अगस्त को हरदिल अजीज शायर गुलजार जी 86 वर्ष के हो गए हैं उनके जन्मदिवस पर हार्दिक बधाइयां और शुभकामनाएं।

गुलज़ार साहब के कुछ प्रसिद्ध कथन और शायरियाँ जो मुझे प्रियकर हैं:

कुछ अलग करना हो तो

भीड़ से हट के चलिए,

भीड़ साहस तो देती हैं

मगर पहचान छिन लेती हैं।


अच्छी किताबें और अच्छे लोग

तुरंत समझ में नहीं आते हैं,

उन्हें पढना पड़ता हैं।


इतना क्यों सिखाई जा रही हो जिंदगी

हमें कौन से सदिया गुजारनी है यहां।


थोड़ा सा रफू करके देखिए ना

फिर से नई सी लगेगी

जिंदगी ही तो है।


मैं वो क्यों बनु जो तुम्हें चाहिए,

तुम्हें वो कबूल क्यों नहीं

जो मैं हूँ।


बहुत छाले हैं उसके पैरों में

कमबख्त उसूलो पर चल होगा।


सुनो…

जब कभी देख लुं तुमको

तो मुझे महसूस होता है कि

दुनिया खूबसूरत है।


मैं दिया हूँ

मेरी दुश्मनी तो सिर्फ अँधेरे से हैं

हवा तो बेवजह ही मेरे खिलाफ हैं।


तकलीफ़ ख़ुद की कम हो गयी,

जब अपनों से उम्मीद कम हो गईं।


कौन कहता हैं कि हम झूठ नहीं बोलते

एक बार खैरियत तो पूछ के देखियें।


शायर बनना बहुत आसान हैं

बस एक अधूरी मोहब्बत की मुकम्मल डिग्री चाहिए।


वो चीज़ जिसे दिल कहते हैं,

हम भूल गए हैं रख के कहीं।


तेरे जाने से तो कुछ बदला नहीं,

रात भी आयी और चाँद भी था, मगर नींद नहीं।


कैसे करें हम ख़ुद को

तेरे प्यार के काबिल,

जब हम बदलते हैं,

तो तुम शर्ते बदल देते हो।


किसी पर मर जाने से होती हैं मोहब्बत,

इश्क जिंदा लोगों के बस का नहीं।


शोर की तो उम्र होती हैं

ख़ामोशी तो सदाबहार होती हैं।


वक्त रहता नहीं कही भी टिक कर,

आदत इसकी भी इंसान जैसी हैं।


हाथ छुटे भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते,

वक्त की शाख से लम्हें नहीं।


बेहिसाब हसरते ना पालिये

जो मिला हैं उसे संभालिये।


बचपन में भरी दुपहरी में नाप आते थे पूरा मोहल्ला

जब से डिग्रियां समझ में आयी पांव जलने लगे हैं।


कुछ जख्मो की उम्र नहीं होती हैं

ताउम्र साथ चलते हैं, जिस्मो के ख़ाक होने तक।


हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उनको

क्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया।


कभी जिंदगी एक पल में गुजर जाती हैं

और कभी जिंदगी का एक पल नहीं गुजरता।


उसने कागज की कई कश्तिया पानी उतारी और

ये कह के बहा दी कि समन्दर में मिलेंगे।


बिगड़ैल हैं ये यादे

देर रात को टहलने निकलती हैं।


सुना हैं काफी पढ़ लिख गए हो तुम,

कभी वो भी पढ़ो जो हम कह नहीं पाते हैं।


मैं दिया हूँ

मेरी दुश्मनी तो सिर्फ अँधेरे से हैं

हवा तो बेवजह ही मेरे खिलाफ हैं।


मैंने मौत को देखा तो नहीं

पर शायद वो बहुत खूबसूरत होगी,

कमबख्त जो भी उससे मिलता हैं

जीना ही छोड़ देता हैं।


पलक से पानी गिरा है,

तो उसको गिरने दो

कोई पुरानी तमन्ना,

पिंघल रही होगी।


बहुत मुश्किल से करता हूँ,

तेरी यादों का कारोबार,

मुनाफा कम है,

पर गुज़ारा हो ही जाता है।


कोई पुछ रहा हैं मुझसे मेरी जिंदगी की कीमत

मुझे याद आ रहा है तेरा हल्के से मुस्कुराना।


गुलज़ार जी ने तो अपने पाठकों का आभार भी खास अन्दाज़ में व्यक्त किया।

शब्द नए चुनकर कविता हर बार लिखू

उन दो आँखों में अपना सारा प्यार लिखू

वो में विरह की वेदना लिखू या मिलन की झंकार लिखू

कैसे इन चंद लफ्जो में दोस्तों अपना सारा प्यार लिखू।

फुटनोट्स

गुलज़ार के लिखे वो गाने जिन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता

कभी दो वक्त की रोटी के लिए मकैनिक का काम कर गुजारा करते थे गुलजार, जानें उनसे जुड़ी बातें

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