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मंगलवार, 19 जनवरी 2021

जीन एडिटिंग क्या है, ये मानवता के लिए वरदान है या अभिशाप?

अच्छा सवाल है आपका! असल में मैंने इसके बारे में काफी रिसर्च भी की है तो मैं इसके बारे में आपको थोड़ा विस्तार से बता सकता हूँ?

इस प्राणी को तो आप जानते ही होंगे।

ये खच्चर है। इसका जन्म गधे और घोड़े द्वारा कृत्रिम तरीके से ही किया गया है। ठीक इसी तरह होती है जीन एडिटिंग भी। चलिए देखते है कैसे?

इसे समझने से पहले कुछ ऐसी बातें समझ लेते है जिसके बगैर आपको इसके बारे में उतना अच्छे से समझ नहीं आएगा।

जीन: हमारा शरीर कोशिकाओं से मिलकर बना होता है और इन कोशिकाओं में केन्द्रक होता है और इसके भी अंदर होता है क्रोमोसोम्स और इसके अंदर होते है DNA और इस DNA पर छोटी छोटी रचना बनी होती है जिसे हम जीन कहते है।

इन्हे इतनी ज़्यादा अहमियत दी जाती है क्योंकि ये जीन ही तय करते है की आने वाले बच्चे की आदत, उसके बालों का रंग, आँखों का रंग, उसके जीवन में किस बीमारी से बीमार होने की संभावना ज़्यादा है, ये सब कुछ जीन ही तय करता है।

जीन एडिटिंग: इसी जीन में नए बनने वाले शिशु को उसकी गुणवत्ता सुधारने और उसे पहले से बेहतर बनाने के नाम पर जीन में कुछ बदलाव करना, दो या अधिक जीवों के जीन को मिलकर किसी नए शिशु को जन्म देना, जीन के कुछ हिस्सों को डिलीट करना, ये सब जीन एडिटिंग या जीनोम इंजीनियरिंग कहलाता है।

तो अब आप जीन के बारे में अच्छे से समझ ही चुके होंगे तो ऐसे में आप खुद सोच सकते है की अगर इस जीन में थोड़ा सा भी बदलाव किया जाएगा तो उससे जो नया शिशु होगा उसमे क्या क्या बदलाव आ सकते हैं। इसी के कई उदाहरण है जिन्हे दो प्राणियों के जीन से मिलाकर बनाया गया है इसीलिए उनमे दोनों के गुण पाए जाते हैं। हालाँकि ये हर बार फायदेमंद ही हो ऐसा ज़रूरी नहीं। कई बार तो चूहों के साथ ऐसे प्रयोग में बड़े ही अजीबो गरीब परिणाम सामने आ चुके है।

अभी कुछ समय पहले ही चाइना ने सिर्फ दो सामान लिंगों[1] के जीन से कुछ चूहों के बच्चों का जन्म कराया था जिसमे जिन दो पिता के जीन से मिलाकर जिस बच्चे को बनाया गया था वो तो सिर्फ 24 घंटों में ही मर गया लेकिन जीन दो फीमेल के जीन से एक बच्चे को बनाया गया था वो अपनी यौवनावस्था तक भी ज़िंदा रह पाया था और बच्चे भी पैदा कर पाया था। वैसे इसकी कोई साफ़ साफ़ वजह तो मुझे कही नहीं मिली लेकिन जहाँ तक मुझे इस बारे में लगता है की किसी बच्चे के बनने में एक ऑटोसोम माँ और एक पिता से आता है। क्योंकि भ्रूण के बनने में माँ के सिर्फ XX -type के क्रोमोसोम्स ही हिस्सा ले सकते है जबकि पिता के भ्रूण के बनने में हिस्सा लेने वाले XY- type के क्रोमोसोम्स होते है।

तो अब आप खुद ही सोच लीजिये जब दो फीमेल के जीन से एक बच्चे का जन्म हुआ तो उस बच्चे में अगले भ्रूण को बनने वाले में देने के लिए सिर्फ XX -type के क्रोमोसोम्स ही रहे होंगे जबकि हो सकता है की दो पिताओं के जीन से बनने वाले शिशु में शायद YY-type के क्रोमोसोम्स हो। और आप जानते ही हैं की YY-type के क्रोमोसोम्स का कोई मतलब ही नहीं होता है तो शायद इसीलिए वो 24 घंटों में ही मर गया। यहाँ इस प्रयोग को करने का तर्क ये दिया गया था की एक बार ये चूहों में सफल हो गया तो फिर इस प्रयोग को इंसानो में भी किया जायेगा जिससे समलैंगिक भी प्रजनन कर पाए।

तो ये सब भी जीन एडिटिंग के अंदर ही आता है जिससे आपको थोड़ा अंदाजा लग गया होगा की जीन इंजीनियरिंग में क्या क्या होता है। वैसे जीन इंजीनियरिंग से हम ऐसे प्राणियों के गुणों को भी इंसानो में लाने पर अध्ययन कर सकते है जो सिर्फ कुछ ख़ास जानवरो में ही पायी जाती है। जैसे की छिपकली में अपनी पूछ को दुबारा उगाने वाला गुण अगर इंसानो में आ जाए तो फिर शायद कोई इंसान हाथ पैरों से अपाहिज नहीं रह पायेगा लेकिन अगर इसके कोई साइडएफेक्ट ना हो तब।

जीव विज्ञान की इस शाखा के बारे में कई लोग अपनी अपनी अलग राय रखते है। कोई इसे कुदरत में दखलंदाज़ी कहता है तो कोई मानवता के विकास में उठाये गए कदम कहता है लेकिन मैं जहाँ तक समझता हूँ की अभी इसे कुछ भी कहना बहुत जल्दबाज़ी होगी। अभी इसमें शायद और परिणाम देखकर ही कुछ कहाँ जा सकता है क्योंकि अभी तक तो मुझे इसमें कोई उतना बड़ा फायदा मानव जाति को नज़र नहीं आया या हो सकता है की ये अभी अपने शुरूआती दिनों में है शायद। इसीलिए अभी कुछ कहाँ नहीं जा सकता। अभी फिलहाल आप ये सोच सकते है की इंसानो के हाथ एक ऐसी तरकीब लगी है जिसमे वो नए नए प्राणियों की उत्पत्ति खुद कर सकते है या चाहे तो किन्ही दो या ज़्यादा जीवों के जीन की एडिटिंग करके या फिर उसे पूरी ही तरह से नया बनाकर। लेकिन जैसा की हर वैज्ञानिक उपलब्धि में होता है की ये हर बार फायदेमंद ही होगा इसके बारे में तो खुद वो भी नहीं जानते।

शुक्रिया

फुटनोट

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