कमाल का है यह सवाल।
फल या सब्जी के बीज और अंडे में तार्किक विचारधारा में क्या फर्क है?
उत्तर:-
शाकाहारी भोजन को अहिंसक मानते हैं कुछ लोग। उनका तर्क है कि पौधों को दर्द महसूस नहीं होता है क्योंकि पेड़-पौधों में नर्वस सिस्टम नहीं है।Plants cannot "think and remember," but there's nothing stupid about them: They're shockingly sophisticated पर एक सच यह भी है कि पौधे भी परिवेश से संकेत लेकर तुरंत प्रतिक्रिया दे पाते हैं। उदाहरण है छुईमुई का पौधा जो स्पर्स मात्र से अपने पत्तों को बंद कर देती है। एक शोध से पता चला है कि अगर कोई जानवर पत्ता खा जाए तो पौधे के अन्य पत्तों को सूचना मिल जाती है। Plants communicate distress using their own kind of nervous system
फल-सब्जी के बीज के अलावा अन्य हिस्सों से भी नए पौधे उगाए जाते हैं। उदाहरण— सहिजन का पौधा उसके बीजों के अलावा टहनियों से भी उगाया जा सकता है।
(चित्र स्रोत:- गूगल। अधिकार मालिक के पास सुरक्षित है। )
अब बात करते हैं अंडे के बारे में। हर अंडा फर्टिलाइज़्ड नहीं होता। केवल फर्टिलाइज़्ड अंडे में से ही नया चूज़ा निकल सकता है। अर्थात यह कहा जाता है कि जिन अंडों से चूज़ा नहीं निकल सकते हैं वो शाकाहारी हैं। परंतु एक औसत इंसान अपने रसोई घर में यह पता नहीं लगा सकता(ती) है कि अंडा फर्टिलाइज़्ड है या नहीं। आखिर रसोई घर कोई वैज्ञानिक प्रयोगशाला नहीं है😂। एक पहलू यह भी है कि फार्म में हो रहे अनफर्टिलाइज़्ड अंडों के उत्पादन के लिए मुर्गा और मुर्गी के जीवन में इतना हस्तक्षेप अनुचित लगता है कुछ लोगों को।
अगर नहीं है तो प्रसाद में हम फल चढ़ाते हैं, अंडे क्यों नहीं? जबकि समाज के कई लोग अंडे को शाकाहारी मानते हैं?
उत्तर:-
सर्वप्रथम यह स्पष्ट कर रही हूँ कि कुछ हिंदू मांसाहारी पदार्थ का भी भोग लगाते हैं। उदाहरण— तमिल नाडु का मुनियांडी मंदिर In this Tamil Nadu village temple, biryani is served as 'prasad' during annual festival बहुत लोग दूर देशों से आते हैं इस पर्व के लिए।
अतः जिसको जो पसंद है वह खाता और खिलाता है। केवल शाकाहारी भोजन ही प्रसाद में नहीं होता है।
साधारण तौर पर शाकाहारी प्रसाद ही होता है। इसे मांसाहारी और शाकाहारी उभय वर्ग के भक्त ग्रहण कर सकते हैं। एक समानता और निष्पक्षता है। किसी को कोई परेशानी नहीं होती है। इसलिए मुझे भी फलों के प्रसाद का परंपरा उचित लगता है।
एक सच यह भी है कि अंडे को समाज के सभी जन शाकाहारी नहीं मानते हैं। यह बात प्रश्न में लिखित है।
जो भी पसंद हो खाएँ। किसी को किसी भोजन के लिए बाध्य न करें। सबका सम्मान करें। भोजन बर्बाद न करें।
मेरे उत्तर को पढ़ने के लिए आदरणीय पाठकों को धन्यवाद।💐
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