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मंगलवार, 12 जनवरी 2021

जैविक खाद कैसे बनाया जाता है?

 जैविक खाद : किसान अपने आसपास उपलब्ध जैविक अपशिष्ट पदार्थों से जैविक खाद बना सकते हैं।जैविक खाद से अनाज, दालों, सब्जी व फलों की गुणवत्ता बढ़ती है और स्वाद अच्छा मिलता है।

1.एजोला कल्चर : एजोला एक तरह का फ़र्न होता है।

चित्र : एजोला

एजोला को तालाबों, झीलों, गड्ढों, और धान के खेतों में कही भी उगाया जा सकता है। इसे छोटी सी जगह में भी उगा सकते हैं, ये पानी के ऊपर तैरता रहता है।कई किसान इसको हौदी में भी उगा रहे है।

यह पौधा पानी में विकसित होकर मोटी हरी चटाई की तरह दिखने लगती है। सभी प्रकार के पशुओं के साथ-साथ एजोला मछलियों के पोषण के लिए भी बहुत उपयोगी होता है।

अगर आपके पास छोटा सा जलाशय है तो उसमें उसमें भी उगा सकते हैं, नहीं तो छोटा सा गड्ढा बनाकर भी उगा सकते हैं।"

किसान इसे सूखाकर खेत में बढ़िया जैविक खाद के रूप में भी प्रयोग कर सकते हैं। इससे मिट्टी में जीवांश की मात्रा बढ़ती है, इसलिए ये बढ़िया जैविक खाद के रूप में भी काम करता है।

2. वर्मी कम्पोस्ट: केंचुआ खाद बनाने के लिए छायादार जगह पर जमीन के ऊपर तीन-चार फिट की चौड़ाई और अपनी आवश्यकता के अनुरूप लम्बाई के बेड बनाए जाते हैं। इन बेडों का निर्माण गाय-भैंस के गोबर, जानवरों के नीचे बिछाए गए घासफूस-खरपतवार के अवशेष आदि से किया जाता है। ढेर की ऊंचाई लगभग एक फुट तक रखी जाती है।

बेड के ऊपर पुआल और घास डालकर ढक दिया जाता है। एक बेड का निर्माण हो जाने पर उसके बगल में दूसरा, उसके बाद तीसरा बेड बनाते हुए जरूरत के अनुसार कई बेड बनाये जा सकते हैं।

चित्र : वर्मी कम्पोस्ट

शुरूआत में पहले बेड में केंचुए डालने होते हैं जोकि उस बेड में उपस्थित गोबर और जैव-भार को खाद में परिवर्तित कर देते हैं। एक बेड का खाद बन जाने के बाद केंचुए स्वतः ही दूसरे बेड में पहुंच जाते हैं। इसके बाद पहले बेड से वर्मी कम्पोस्ट अलग करके छानकर भंडारित कर लिया जाता है तथा पुनः इस पर गोबर आदि का ढ़ेर लगाकर बेड बना लेते हैं।

चित्र: गोबर खाद

3. गोबर से जैविक खाद : इसके लिए 10 किलो गोबर,10 लीटर गोमूत्र, एक किलो सस्ता गुड़ , एक किलो चोकर एक किलो मिट्टी लेकर ड्रम में मिश्रण तैयार कर लें। इनको किसी लकड़ी के डंडे से आपस में मिला लें। मिश्रण बन जाने के बाद इसमें एक से दो लिटर पानी डाल दें। अब इसे 20 दिनों तक ढक कर रख दें। ध्यान रखें कि इस ड्रम पर धूप न पड़े। अच्छी खाद पाने के लिए इस घोल को प्रतिदिन एक बार अवश्य मिलाएं। 20 दिन बाद ये खाद बन कर तैयार हो जाएगी। यह खाद सूक्ष्म जीवाणुओं से भरपूर और मिट्टी की सेहत के लिये अच्छी रहेगी।

4. प्रोम ( PROM- फॉस्फोरस रीच आर्गेनिक मैनयोर) : प्रोम, जैविक खाद बनाने की एक नई तकनीक है।

प्रोम को DAP और SSP के पूरक के तौर पर किसान अपनी फसल के लिए खेत में प्रयोग कर सकते हैं। प्रोम खेत की उर्वरा शक्ति को बनाये रखता है।जैविक खाद बनाने के लिए गोबर तथा रॉक फॉस्फेट को प्रयोग में लाया जाता है।

रॉक फॉस्फेट एक तरह का पत्थर है जिसमें 22 प्रतिशत फॉस्फोरस होता है।

वेस्ट डी-कंपोजर जैविक खेती कर रहे किसानों के लिए जैविक खाद बनाने का बेहतर विकल्प है। कम खर्च में किसान इसकी मदद से स्वयं खाद बना सकते हैं। इसके उपयोग के बाद किसान को फसल में रासायनिक कीटनाशक और उर्वरक देने की जरूरत नहीं रहती है। खास बात है कि यह जड़ और तना संबंधी बीमारियों के नियंत्रण में उपयोगी पाया गया है।

विधि — प्रोम बनाने के लिए सबसे पहले गाय या भैंस का 500 किलो गोबर लीजिए, इसके ऊपर से सूखी पत्तियां डाल दीजिए, बाद में ऊपर से 500 किलो रॉक फॉस्फेट का (पाउडर फोम में) छिड़काव करें, फिर वेस्ट डी कंपोजर का छिड़काव करें और इसे कम से कम 30 से 35 दिनों तक ढ़ककर रखें, जिसके बाद जैविक खाद तैयार हो जाएगी।

प्रत्येक किसान, जिसके पास पशुधन है, आसानी से अपने घर पर गोबर से जैविक खाद तैयार कर सकता है।

स्रोत ::Vikaspedia/mygov.in/gaonconnection.com

स्रोत : ऐसे बना सकते हैं वर्मी कम्पोस्ट, एजोला जैसी जैविक खाद

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