देखिए आपने पूछा कि, किसी नेता कि अंधभक्ति करना सही है,
यहां दो सवाल है पहला जो आपने पूछा,
दूसरा कि जी सबसे महत्वपूर्ण है , " अंधभक्ति "
हमे पहले ये समझना पड़ेगा कि अंधभक्ति होती क्या है, और अंधभक्त किसे कहते है,
"अंधभक्त"
तो अंधभक्त उसे कहते हैं की जो भक्त से भी आगे निकल जाए वो होता है अंधभक्त। अभी के इस दौर में अंधभक्तों की कमी नहीं है ये हर जगह देखने को मिल जाते हैं और अंधभक्त वो होते हैं जो किसी को अपना आदर मान लेते हैं और उनके हर बुरे कामो को भी अच्छा मानते हैं उस बुरे काम में उन्हे उनकी बुराई नहीं दिखती वो बुरे काम में भी उस इंसान की अच्छाई गिनने लगते हैं इस लिए लोग इस प्रकार के लोगो को अंधभक्त कहने लगे हैं जो अपने आँखों में पट्टी बांधकर उस इंसान को फॉलो करते हैं जो गलत काम भी करे तो उसमे वो उनकी अच्छाई ढूंढ लेते हैं, ये किसी के भी अंधभक्त बन जाते हैं, जहे वो कोई अभिनेता हो या फिर देश का नेता हो।
मेरे नजर में अगर आप उनके भक्त हैं तो ठीक हैं लेकिन उनके अंधभक्त हैं तो शायद ये बहुत गलत है क्योंकि ऐसे में आप उनके हर बुरे से बुरे कामो को भी सराहने लगेंगे, अगर आपका साथी उस इंसान का विरोध करेगा जिसे आप पसंद करते हैं तो फिर आपको अपने साथी पर गुस्सा आएगा और आप अपने साथी से दूर होने लगेंगे भले ही वो साथी आपके बचपन का यार ही क्यों ना हो। आपको ये बर्दाश्त नहीं होगा की वो उस इंसान के बारें मे गलत कैसे सोच सकता है। आप अपने साथी को ही गलत समझेंगे जबकि उसके साथ आपने अपना बचपन जिया है। ऐसी समस्या आज की दौर में होने लगी है जो लोग अंधभक्त बन जाते हैं उनके सामने उस इंसान की खराबियों को पेश करेंगे जिसे वो पसंद करते हैं तो वो आपको ही अपना दुश्मन एक तरह से समझने लगेगा जो की बहुत गलत है।
मेरा तो ऐसे लोगो से खास यही निवेदन है की आप किसी के भक्त मत बनिए, अगर आप जिसे पसंद करते हैं वो अगर अच्छा काम कर रहा है तो उसपर उसकी सराहना होनी चाहिए लेकिन अगर वो कोई गलत काम किया है तो उसपर सवाल किया जाना लाज़मी है। जिससे वो इंसान आगे चलकर कोई भी गलत कदम उठाने से पहले अच्छे से विचार करेगा।
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