ये एक अपाहिज देश की निशानी है
- बात केवल एक परीक्षा की नहीं है
- अभी कई चीज़ों की परीक्षा रुकी हुई है
- ऐसा क्यों है , ये हमने कभी क्यों नहीं पूछा ?
- बोर्ड परीक्षा तो समय से हो जाती है
- JEE की परीक्षा भी हर साल टाइम से होती है
- तो फिर ये नौकरी देने वाली परीक्षाएं क्यों नहीं होती है ?
- और इस से बड़ी बात ये है की हमलोग कभी ये सवाल सरकार से पूछते क्यों नहीं हैं ?
- नाही हम मीडिया पर इन बातों को आगे करने का ज़ोर देते हैं
मेरी समझ से कहीं न कहीं देश अपाहिज हो चूका है , और हम सबने अब हार मान लिया है
- कहीं न कहीं हमारे अंदर ये भावना है की "भारत में तो ऐसा ही होता है , ये बड़ी बड़ी बातें इंग्लैंड में करना"
- हम लोगों ने मान लिया है की भारत मतलब कमज़ोर देश जहां कोई काम सही से नहीं होता है।
- और यही मानसिकता सरकार में काम करने वाले लोगों की भी है
- उन्हें भी लगता है की काम आज हो कल हो , क्या फ़र्क़ परता है , ये भारत है यहां ऐसा ही होता है
- मतलब हम लोगों ने अपनी छोटी सोंच से अपने देश को एक अपाहिज देश बना दिया है
- ऐसा क्यों है की जापान में ट्रैन हमेशा समय से आती है भारत में नहीं ?
- उनके भी 2 हाँथ 2 पैर , हमारे भी।
- तो कहीं न कहीं भारत का कल्चर ही खराब हो चूका है
- और अगर आप इस बारे में कुछ बोलो तो लोग आपसे ही पूछेंगे की "आपने क्या किया देश बदलने के लिए"
- मतलब कहीं न कहीं ये मानसिकता है की कोई आकर सब बदल देगा
- लेकिन बदलना तो हमें अपने आपको होगा
मैं केवल मैं को बदल सकता हूँ , देश को नहीं
जब हर "मैं" अपने आपको बदल ले , देश बदल जाएगा
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